मंत्री ने यह भी कहा कि सभी पेड़ बेहद जरूरी कार्यों की वजह से काटे गए हैं। इनकी अनुमति फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 के तहत दी गई थी। इन पेड़ों को सामान्य पॉलिसी के तहत काटा गया है। उन्होंने यह जानकारी लोकसभा सदस्य बीबी पाटिल के सवाल के जवाब में दी थी। साथ ही यह भी बताया कि 78700000 पेड़ अनिवार्य प्रतिपूर्ति वनीकरण के तहत लगाए जाएंगे।
मंत्री ने लोकसभा में अपने जवाब में बताया था कि ये सभी पेड़ राज्यों की मांग और नहीं टाले जा सकने वाले यानी बेहद जरूरी विकास कार्यों के कारण अनुमति देने के बाद काटे गए हैं। मंत्री ने यह जानकारी इंडियन स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट ( India State of Forest Reports (ISFR) by Forest Survey of India ) के अनुसार दी है। यह रिपोर्ट फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने तैयार की थी
छत्तीसगढ़ है। यहां 665132 पेड़ काटे गए हैं। उत्तराखंड में 105461 पेड़ काटे गए हैं। इसी तरह ओडिशा में 658465, झारखंड में 434584, अरुणाचल प्रदेश में 325260, पंजाब में 228951, राजस्थान में 228580, उत्तर प्रदेश में 205551, पश्चिम बंगाल में 176685, हरियाणा में 172194, गुजरात में 165439, हिमाचल प्रदेश में 161677, मणिपुर में 12388, असाम में 118895, बिजार में 91850, कर्नाटक में 40776, अंडमान निकोबार में 12467, सिक्किम में 8630, गोवा में 3765, दिल्ली में 3236, तमिलनाडु में 2025, मिजोरम में 748, केरला में 725, त्रिपुरा में 583 और मेघालय में 317 पेड़ काटे गए हैं।