script72 के सेटअप पर चल रहा प्रशासनिक अमला | Administrative staff running on 72 setup | Patrika News
भोपाल

72 के सेटअप पर चल रहा प्रशासनिक अमला

जिले की जनसंख्या के मान से सन् 1972 में सरकारी विभागों में कामकाज के लिए पदों संरचना का जो सेटअप तैयार किया गया था। उसी सेटअप के आधार पर 51 साल बाद भी कर्मचारियों से कामकाज लिया जा रहा है।

भोपालMar 13, 2023 / 08:09 pm

योगेंद्र Sen

Due to lack of staff, most of the problems are being faced in time-bound works.

अमले की कमी से समय-सीमा वाले कार्यों में सबसे ज्यादा आ रही दिक्कतें

बैतूल. जिले की जनसंख्या के मान से सन् 1972 में सरकारी विभागों में कामकाज के लिए पदों संरचना का जो सेटअप तैयार किया गया था। उसी सेटअप के आधार पर 51 साल बाद भी कर्मचारियों से कामकाज लिया जा रहा है। सेटअप में बदलाव तो दूर उल्टे रिटायरमेंट के चलते कर्मचारियों की संख्या घटकर आधी रह गई है। अमले की कमी के कारण कर्मचारी तबका पहले से दोहरे प्रभार के नीचे दबा हुआ है, उस पर तकनीकी ज्ञान की समझ कम होना प्रशासनिक कामकाज की जटिलताओं को बढ़ा रहा है। ऐसे में समय-सीमा वाले प्रकरणों के निराकरण में तालमेल नहीं बैठा पाने के कारण कर्मचारी तबके को उच्च अधिकारियों के कोपभाजन का शिकार भी बनना पड़ रहा है। पूर्व में काम की अधिकता के चलते रिक्त पदों पर भर्ती को लेकर कर्मचारी संघ ज्ञापन भी सौंप चुके हैं। पत्रिका ने सरकारी विभागों में मौजूद अमले की नब्ज टटोली तो सामने आया कि कर्मचारियों को दोहरी जिम्मेदारी उठाना पड़ रही है। वाकई में कर्मचारियों के लिए यह पीड़ा एक बड़ी समस्या है। बावजूद इसके कठिन परिस्थितियों में भी सरकारी अमला यदि चुनाव, सरकारी आयोजन, विभागीय कामकाज आदि निपटा रहा है।
सालों से नहीं हुई नई नियुक्तियां
सरकारी विभागों में सालों से नई नियुक्तियां नहीं हुई है। विभाग में जो पद भरे हुए थे वे रिटायरमेंट के चलते खाली होते जा रहे हैं। पत्रिका ने जब जिला अस्पताल के हालात का जायजा लिया तो वहां प्रथम श्रेणी चिकित्सकों के 19 पद विगत कई सालों से खाली पड़े हैं। द्वितीय श्रेणी चिकित्सकों के भी 4 पद रिक्त है। इसके अलावा तृतीय-चतुर्थ श्रेणी में भी 30 से अधिक पद रिक्त बताए जाते हैं। पुराने सेटअप के आधार पर पदों की संरचना की गई है लेकिन आज तक सेटअप के अनुसार पद नहीं भरा सके। जबकि मरीजों की संख्या में चौगुनी वृद्धि हो गई है। वहीं शासन ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चालू की गई दर्जनों योजनाएं, समय-समय पर चलने वाले अभियानों आदि का बोझ भी कर्मचारियों एवं चिकित्सकों पर है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतर सुधार की अपेक्षा करना समझ से परे हैं।
प्रभार पर चल रहा कलेक्टोरेट
कलेक्टोरेट कार्यालय में मौजूदा शाखाएं प्रभारियों के भरोसे ही संचालित हो रही है। 1972 के सेटअप की व्यवस्था में आज तक बदलाव नहीं आ सका है। वर्तमान में जो स्थिति है उसमें डिप्टी कलेक्टर जैसी महत्वपूर्ण पोस्ट के दो पद रिक्त पड़े हैं। 9 तहसीलदार और 6 नायाब तहसीलदार सहित सहायक ग्रेड दो एवं सहायक ग्रेड तीन के 35 पद खाली पड़े हैं। वहीं भूअभिलेख जैसे महत्वपूर्ण विभाग में आरआई सहित पटवारियों के पद रिक्त पड़े हैं। जो स्थिति है उसमें जिले में 569 पटवारी हल्के है नियमानुसार प्रत्येक हल्के में एक पटवारी होना चाहिए, लेकिन जिले में पटवारियों के 410 पद ही स्वीकृत है जिसमें से 350 कार्यरत है। इस प्रकार एक पटवारी पर दो से तीन हल्कों की जिम्मेदारी दे रखी है। जबकि एक हल्के में चार से पांच गांव आते हैं।
यह है कर्मचारियों की परेशानी
काम की अधिकता और बढ़ते बोझ की वजह से सरकारी कर्मचारी समय से पहले ही मानसिक तनाव से ग्रस्त हो रहे हैं। कई कर्मचारी ह्रदय रोग संबंधी गंभीर बीमारियों से भी पीडि़त है। बताया गया कि 80 फीसदी कर्मचारी अमला किसी ने किसी तनाव से ग्रसित है। जिसका असर कर्मचारी तबके की कार्यशैली और कार्यप्रणाली दोनों पर ही पड़ रहा है। कार्य के बोझ अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि छुट्टी के दिनों में भी दफ्तार खोलकर फाइलों में निपटाना पड़ता हैं। कई कर्मचारी तो ऐसे भी है जिन्होंने सालों से सीएल तक नहीं ली है, क्योंकि काम उनकी प्राथमिकता में शामिल हो गया है। काम के बढ़ते बोझ के चलते कई कर्मचारी तो वीआरएस लेने की तैयारी कर रहे हैं।बताया गया कि मार्च 2024 तक जिले में 150 से अधिक कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे। ऐसे में सरकारी विभाग में कामकाज भगवान भरोसे संचालित होगा।
यह है सरकारी कामकाज में दिक्कतें
1. सरकारी विभागों में 1 अपे्रल 1972 के सेटअप के हिसाब से कामकाज चल रहा है।
2. शासन ने नई-नई शासकीय योजनाएं लागू कर दी गई है जबकि सेटअप पुराने हिसाब से ही चला आ रहा है।
3. सरकारी विभागों में 40 प्रतिशत कर्मचारी ऐसे हैं जो मूल पद के साथ-साथ अतिरिक्त पदों का कामकाज भी संभाल रहे हैं। यानि वे दोहरा कामकाज कर रहे है।
4. अमले की कमी के बावजूद कर्मचारियों को सभी कार्यों को समय-सीमा में करने का उत्तरदायित्व सौंपा जाता है।
5. सरकारी विभागों में ज्यादातर अमला पुराना है जिसे कम्प्यूटरीकृत और तकनीकी ज्ञान नहीं है। जबकि अधिकांश सरकारी योजनाएं ऑनलाइन एवं कम्प्यूटरीकृत हो चुकी है। जिससे कार्य में दिक्कतें आती है।
6. सन् 1986 के बाद से शासन ने सरकारी विभागों में नई नियुक्तियां नहीं की है। जबकि पुराने कर्मचारी हर साल रिटायर हो रहे हैं।
7. कर्मचारियों पर कामकाज का अतिरिक्त बोझ होने के कारण उन्हें अतिरिक्त समय भी देना पड़ रहा है। छुट्टी के दिन भी कामकाज पूर्ण करने दफ्तर आना पड़ता है।
8. शासन ने विभिन्न योजनाएं जो राजस्व विभाग के माध्यम से संचालित की जा रही है जैसे मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन यात्रा, जनसुनवाई, सीएम हेल्पलाइन, जनसेवा अभियान, सूचना का अधिकार अधिनियम, आनंद उत्सव जैसी योजनाओं के लिए अलग से कोई अमला स्वीकृत नहीं किया गया है।

Home / Bhopal / 72 के सेटअप पर चल रहा प्रशासनिक अमला

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो