इन कालेजों में एडमिशन की प्रक्रिया अमूमन जुलाई में शुरू हो जाती है. सितंबर अक्टूबर तक तो यहां एडमिशन बंद भी कर दिए जाते हैं लेकिन इस बार हाल कुछ अलग हैं। दरअसल अभी तक सीबीएसई की 12वीं क्लास और जेईई मेन के परिणाम ही नहीं आए हैं। इस कारण काउंसिलिंग कराने वाला संस्थान डायरेक्टोरेट आफ टेक्निकल एजुकेशन यानि डीटीई एडमिशन की तैयारी ही नहीं कर पाया है। डीटीई को जब तक जेईई के परिणाम नहीं मिलते तब तक एडमिशन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकेगी। सीबीएसई और जेईई परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानि एनटीए से डेटा लेने में भी डीटीई को करीब 15 दिनों का समय लग सकता है। इस डेटा को जब काउंसिलिंग साफ्टवेयर सर्वर में डाला जाएगा तब ही आगे की प्रक्रिया पूरी हो पाएगी।
पिछले साल इसी वजह से इंजीनियरिंग कालेजों की 10 हजार सीटें खाली रह गईं थीं- एडमिशन प्रक्रिया लेट होने का नुकसान प्राइवेट कालेजों को उठाना पड़ेगा. विलंब के कारण हजारों स्टूडेंट दूसरे राज्यों में चले जाते हैं। पिछले साल इसी वजह से इंजीनियरिंग कालेजों की 10 हजार सीटें खाली रह गईं थीं। इससे कालेजों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ। यही कारण है कि कालेज एडमिशन प्रक्रिया जल्द शुरु करने की मांग कर रहे हैं. सीटें भरने के लिए कालेजों ने अपनी कोशिशें भी शुरू कर दी हैं। दरअसल टाप कालेजों की सीटें तो हर साल भर जाती हैं लेकिन अन्य कालेजों को इसके लिए काफी परेशान होना पड़ता है।