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भोपाल

माथे पर लगी चोट, हाथ पर जले का निशान से 18 साल पहले घर छोड़कर गए बेटे ने दिलाया माता-पिता को भरोसा

आंखों पर नहीं हुआ भरोसा…

भोपालSep 20, 2019 / 01:31 pm

दीपेश तिवारी

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भोपाल। बचपन में पिता की डांट से नाराज एक बेटा घर छोड़कर चलाया गया, फिर अचानक 18 साल बाद अपने माता पिता के सामने जा पहुंचा। बदरवास में अचानक सामने आए एक युवा के यह कहने पर कि आप मेरे माता पिता है।
दंपत्ति चौंक गए, उन्हें अपनी ही आंखों पर भरोसा नहीं हुआ। लेकिन बाद में पुरानी यादों से सहारे स्थिति साफ होने पर माता-पिता की आंखें छलक पड़ीं।

जानकारी के अनुसार बदरवास में मेहनत मजदूरी करके अपना व परिवार का जीवन यापन कर रहे रमेश नामदेव करीब 18 साल पहले अशोकनगर में रहता था। उसके यहां तीन बेटे और दो बेटियां हैं।
रमेश चाहता था कि उसके बच्चे अच्छे से पढ़ लिख जाएं, तो नौकरी लग जाएगी जिससे उन्हें उसकी तरह जीवन नहीं गुजारना पड़ेगा। इसी सोच के चलते वह अपने बच्चों को अक्सर पढ़ाई के लिए डांटता रहता था। इसी क्रम में उसने 18 साल पहले अपने सबसे बड़े छह साल के बेटे दीपक को पढ़ाई न करने पर डांट दिया।
यह बात दीपक को बुरी लगी और वह घर छोड़कर भाग गया। इसके बाद माता-पिता ने उसकी तलाश की, तो वह 15 दिन बाद उन्हें वापस मिल गया और उसे घर ले आए, लेकिन पिता की डांट ने दीपक के दिमाग पर इस हद तक प्रभाव डाला कि वह फिर से घर छोड़कर भाग गया और फिर उसका कोई सुराग नहीं लगा।
बेटे की तलाश में रमेश ने घर-द्वार तक बेच दिए, जिससे आर्थिक स्थिति और ज्यादा बिगड़ गई। अंतत: बेटे के मिलने की आस छोड़ कर बदरवास आकर रहने लगे और जीवन सामान्य हो गया।
इसी दौरान बेटा दीपक, अपने माता-पिता की तलाश करते-करते बदरवास आ पहुंचा तथा बुधवार को अचानक से रमेश व अंगूरी के सामने आ खड़ा हुआ। जब दीपक ने उनसे कहा कि वह उनका बेटा है तो रमेश व अंगूरी को उनकी बात पर भरोसा ही नहीं हुआ।
दीपक ने अपनी बात का भरोसा दिलाने के लिए जब मां अंगूरी को बचपन में माथे पर लगी चोट, हाथ पर जले का निशान दिखाया तो अंगूरी को दीपक की बात पर भरोसा हुआ। इसके बाद जब दीपक ने पुरानी कहानी बताईं तो अंगूरी की आंखें छलक उठीं और उसने दीपक को गले लगा लिया।
भगवान एक बेटे को और भिजवा दे…
अंगूरी-रमेश का एक और बेटा चिक्कू भी इसी तरह के हालातों में करीब 12 साल पहले घर छोड़ कर चला गया था। उसका अब तक कोई पता नहीं चला है, अंगूरी का कहना है कि मैंने 18 साल तक न जाने किन-किन मंदिरों पर दुआ मांगी है।
संभवत: उन्हीं का परिणाम है कि दीपक लौट आया। अब बस भगवान चिक्कू को और भिजवा दे तो मेरे कलेजे को तसल्ली मिल जाएगी।

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