जांच के लिए भेजे गए सैंपल
पशु चिकित्सा विभाग की टीम शुक्रवार को एनएफल पहुंची। यहां मुआयना कर निपाह वायरस की जांच के लिए सैंपल भी लिए हैं। जिन्हें जांच के लिए भेजा गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा कि चमगादड़ों की मौत कैसे हुई और उनमें निपाह वायरस का संक्रमण है या नहीं। फिलहाल लोग वायरस के संक्रमण से डरे हुए हैं। हालांकि क्षेत्र में अब तक निपाह वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति सामने नहीं आया है।
मेडिकल साइंस के अनुसार अगर कोई निपाह वायरस के संक्रमण का शिकार होता है तो वह 24 से 48 घंटे के अंदर कोमा में चला जाता है। इसके शुरुआती दौर में पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है। इसके साथ ही न्यूरोलॉजिकल दिक्कत भी लोगों को आती है। 2018 में इसका सबसे ज्यादा खतरा केरल में था। वहां कई लोगों की इस बीमारी से मौत भी हुई थी।
निपाह वायरस आमतौर पर इंसानों को इंफेक्शन की चपेट में लेता है। यह चमगादड़ों, सूअरों और दूसरे इंसानों से भी फैलता है। भारत को लेकर जो रिसर्च हैं, उसके अनुसार यहां इंसान से इंसान का संपर्क होने पर इसकी चपेट में आने का खतरा ज्यादा है।
निपाह वायरस के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई में पता चला था। डब्ल्यूएचओ के अनुसार वहीं से इस वायरस का नाम निपाह पड़ा। उस वक्त इस बीमारी के वाहक पिग बनते थे।
भारत में निपाह वायरस का पहला केस 2001 के जनवरी-फरवरी में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में सामने आया। जिसमें 66 लोगों में यह वायरस पाया गया था, जिनमें 45 लोगों की मौत हो गई थी। उसके दूसरा मामला भी पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में 2007 अप्रैल में आया। यहां निपाह से 5 लोग पीड़ित थे, जिनमें 5 की मृत्यु हो गई थी।
मध्यप्रदेश में अभी तक निपाह वायरस का कोई भी केस नहीं आया है। ऐसे में गुना में चमगादड़ों की मौत से दहशत स्वाभाविक है। लेकिन ऐसे वक्त में जरूरत है अफवाहों से बचने की। साथ ही एहतियात बरतने की। अगर कोई लक्षण दिखे तो डॉक्टर से जाकर तुरंत मिलें।
इस वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं है। आप बच सिर्फ सावधानी बरतकर ही सकते हैं। ऐसे में आप जो खा रहे हैं, उसे परख लें कि कहीं वह चमगादड़ या उनके मल से दूषित तो नहीं है। चमगादड़ के कुतरे फलों को खाने से बचें। बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क में आने से बचें। निपाह बुखार के बाद मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को कवर करना महत्वपूर्ण है। मृत व्यक्ति को टच ना करें।