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भोपाल

पाश्चराइज्ड मिल्क उबाल कर पीने से नहीं मिलता बी-12

आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डॉ.एनके गांगुली ने कहा- न उबालें पैकेट बंद दूध

भोपालMar 13, 2024 / 07:13 pm

jitendra yadav

पाश्चराइज्ड मिल्क उबाल कर पीने से नहीं मिलता बी-12

पाश्चराइज्ड मिल्क उबाल कर पीने से नहीं मिलता बी-12

भोपाल. सिर्फ भारत में ही पाश्चराइज्ड मिल्क उबाल कर पिया जाता है। उबालने पर इसमें मौजूद सभी गुण खत्म हो जाते हैं। जबकि, शाकाहारियों के लिए विटामिन बी-12 का प्रमुख स्रोत दूध ही है। यही वजह है कि भारतीयों में बी-12 की कमी ज्यादा देखने को मिलती है। इसकी वजह से कई तरह की बीमारियां हो रही हैं। यह कहना है आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डॉ. एन के गांगुली का। भोपाल में ट्रांसलेशनल मेडिसिन की राष्ट्रीय कार्यशाला में भाग लेने आए आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डॉ.एनके गांगुली से पत्रिका के शशांक अवस्थी ने खास बातचीत की। पेश है उनसे बाचतीत के प्रमुख अंश…
ट्रांसलेशनल मेडिसिन क्या है। यह क्यों जरूरी है?
ट्रांसलेशनल मेडिसिन विभाग की अब विशेष जरूरत है। एक रिसर्च में पहला पार्ट नॉलेज अरेंजमेंट और दूसरा पार्ट नॉलेज मैनेजमेंट होता है। यानी जानकारी एकत्र कर उसे तैयार करने की प्रक्रिया। हमारे यहां ज्यादातर रिसर्च यहीं खत्म हो जाती हैं। इसलिए यह सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित हो जाती है। जब रिसर्च की जानकारी को जीव, पर्यावरण या विकास में उपयोग किया जाए तो यह ट्रांसलेशन होता है। इस पर कंपनियां प्रोडक्ट तैयार करें।
कोई ऐसी रिसर्च जो खूब चर्चित रही हो?
एक रिसर्च सामने आई थी। जिसमें बच्चा मेल या फीमेल पैदा होगा यह पहले से तय हो सकता है। हालांकि, यह रेप्टाइल तक ही सीमित थी। जिसमें देखा गया कि कछुए व अन्य रेप्टाइल के अंडे यदि तय तापमान में रखे जाएं तो मादा कछुआ या नर कछुए का जन्म कराया जा सकता है।
रोजाना नई रिसर्च सुनने में आती है। फिर चर्चा बंद। ऐसा क्यों?
रिसर्च कई स्टेज से गुजरती है। रिसर्च के बाद जो रिजल्ट आता है उसे एक प्रोडक्ट के रूप में बदलना बड़ा चैलेंज है। प्रोडक्ट बनने के बाद यह उपयोगी है या नहीं। इसकी जांच की जाती है। ट्रायल होता है। रिजल्ट पॉजिटिव आया, तभी लोगों तक यह पहुंचती है। अधिकतर रिसर्च में यह प्रक्रिया नहीं अपनायी जाती। इसलिए चर्चा नहीं होती।
हाल की जीवन रक्षक रिसर्च जिसकी चर्चा करना चाहेंगे?
एक जानलेवा बीमारी है, जिसे क्रॉनिक ल्यूकीमिया कहते हैं। इसमें पहले मौत होना तय था। हाल में एक रिसर्च से तैयार लीफैट ड्रग बीमारी के इलाज में कारगर पाया गया है। अब इस बीमारी से ग्रसित मरीज में मौत को टाला जा सकता है। इसी तरह एसजीएल-2 इन्हीबिटर मॉलिक्यूल रिसर्च में खोजा गया। जो हार्ट फेलियर से प्रोटेक्ट करता है।
न उबालें पैकेट बंद दूध
पैकेट बंद दूध को उबालने से उसकी पौष्टिकता कम होती है। विटामिन ए,बी3,बी5 और बी12 पर तापमान का असर पड़ता है। गर्मी से विटामिन ए और बी12 में 21 फीसदी, बी 3 में 13 प्रतिशत तक कमी आ जाती है।

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