दरअसल, राजधानी में युवक कांग्रेस महंगाई और बिजली दरों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। कार्यकर्ता अपने साथ एक भैंस भी लेकर आए थे और भैंस के ऊपर भी बैनर लगाए गए थे। इस बैनर पर बिजली बिलों का विरोध किया गया था और भैंस के स्थान पर ऊर्जा मंत्री का फोटो लगा दिया गया था।
युवक कांग्रेस के कार्यकर्ता भैंस के आगे बीन बजाकर प्रदर्शन करने लगे। पुलिस ने कार्यकर्ताओं पर पशु क्ररता कानून समेत 147 और 188 धाराओं में भी प्रकरण दर्ज किया है। प्रदर्शनकारियों ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के बंगला का भी घेराव करने का भी प्रयास किया था। इस दौरान पुलिस ने युवक कांग्रेस के अध्यक्ष समेत अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।
प्रदर्शन कर रहे युवक कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहा था कि बिजली बिल की कीमत से आम जनता परेशान हो गई है। सरकार गरीबों के साथ अन्याय कर रही है। पुलिस को आगे करके जनता की आवाज दबाई जा रही है, लेकिम हम जनता की आवाज उठाते रहेंगे।
क्या होता है इस मुहावरे का अर्थ
भैंस के आगे बीन जाने (bhains ke aage been bajana) का अर्थ का काफी प्रचलित मुहावरा है। इसका अर्थ होता है कि मुर्ख को समझाने का प्रयत्न करना। जब किसी ऐसे व्यक्ति को समझाने का प्रयत्न कर रहे हों और उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा है। सारे प्रयास व्यर्थ में चले जाएं तो इस तरह के मूर्क लोगों को समझाने को ही भैंस के आगे बीन बजाना कहा जाता है।
जानिए क्या है पशु क्रूरता अधिनियम 1960
Prevention of Cruelty to Animals Act
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 में अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (Animal Welfare Board of India- AWBI) की स्थापना वर्ष 1962 में अधिनियम की धारा 4 के तहत की गई थी। इस अधिनियम में अनावश्यक क्रूरता और जानवरों का उत्पीड़न करने पर सज़ा का प्रावधान है। यदि जानवरों के साथ क्रूरता की की जाती है तो दोषी को सजा का प्रावधान है। अधिनियम के तहत दायर मुकदमे की समयावधि 3 माह की होती है, इस अवधि के बाद वादी/अभियोजक पर किसी भी प्रकार का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
सजा का प्रावधान