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भोपाल

ये हैं वो तीन चेहरे, जिनकी वजह से मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार और संगठन में लगी है आग!

ये हैं वो विवाद, जिसे कांग्रेस के इन तीन चेहरों ने हवा दी

भोपालSep 04, 2019 / 01:55 pm

Muneshwar Kumar

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भोपाल/ मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार है लेकिन सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सरकार ही नहीं संगठन का हाल भी कुछ ऐसा ही है। संगठन में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए खींचतान जारी है। सरकार के अंदर भी पॉवर सेंटर की लड़ाई छिड़ी है। प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए तीन गुट सक्रिय है और यह तीनों गुट की सरकार के अंदर भी गुटबाजी चल रही है। अभी तक पर्दे के पीछे जो लड़ाई चल रही थी वह खुलकर अब बाहर आ गई है।
दरअसल, मध्यप्रदेश में सीएम कमलनाथ ही संगठन की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। कमलनाथ ही प्रदेश अध्यक्ष हैं। सोनिया गांधी जब से कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनी हैं, तभी से मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए रेस शुरू हो गई है। इस रेस में तीन गुट के लोग शामिल हैं। पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का खेमा अपनी दावेदारी खुलेआम जता रही है। सिंधिया के समर्थकों तो अखबारों में विज्ञापन निकलवा उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं।
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सिंधिया ने कमलनाथ सरकार को टारगेट किया
अभी तक उनके समर्थक उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे थे। सिंधिया के बारे में यह खबरेंं थी कि वह नाराज चल रहे हैं। लेकिन मंगलवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया जब ग्वालियर दौरे पर आएं तो उन्होंने इशारों-इशारों में यह बयां कर दिया। उन्होंने रेत खनन को लेकर कमलनाथ की सरकार पर निशाना साधा। अवैध रेत खनन को लेकिर इशारों-इशारों में कहा कि मैंने जुल्म के खिलाफ हमेशा आवाज उठाई है।
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संगठन की लड़ाई खुलकर सामने आई
अभी तक संगठन में वर्चस्व की लड़ाई पब्लिकली नहीं हुई थी। लेकिन जब सिंधिया की दावेदारी कमजोर होने लगी तो उनके समर्थक मंत्री और सपोर्टर इसे सार्वजनिक कर दिया। और खुलकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में आ गए। सभी लोग यह मांग करने लगे कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। उसके बाद संगठन के अंदर चल रही लड़ाई बाहर आ गई।
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सरकार और संगठन दोनों में लग गई आग
अभी तक दिग्विजय सिंह पर्दे के पीछे से ही सक्रिय थे। लेकिन सरकार और संगठन में चल रही खींचतान में वह भी सार्वजनिक रूप से उतर गए। दिग्विजय सिंह ने पहले प्रदेश अध्यक्ष के लिए पिछले सप्ताह अपने गुट के लोगों से मुलाकात की। वह पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और मंत्री गोविंद सिंह से मुलाकात की। उसके बाद यह चर्चा शुरू हो गई दिग्विजय गुट भी प्रदेश अध्यक्ष की पद के लिए एक्टिव हो गए। दिग्विजय सिंह के मुलाकात के बाद अगले दिन करीब दो दर्जन से ज्यादा विधायक अजय सिंह के आवास पर जमा हुए। इसके साथ ही संगठन में खींचतान और बढ़ गई।
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चिट्ठी से बढ़ी खलबली
उसके बाद दिग्विजय सिंह ने मंत्रियों को चिट्ठी लिख सरकार के अंदर आग लगा दी। दिग्विजय सिंह ने प्रदेश के सभी मंत्रियों को चिट्ठी लिखी। और उनसे अपने द्वारा दिए गए कार्यों और सिफारिशों के बारे में पूछा। साथ ही उन्हें आकर मिलने के लिए कहा। उसके बाद से विपक्ष सवाल उठा रहा था कि आखिर किस हैसियत से दिग्विजय सिंह मंत्रियों से हिसाब ले रहे हैं।
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सिंघार ने खोल दिया मोर्चा
दिग्विजय सिंह की चिट्टी से सरकार के अंदर खलबली तो थी ही। लेकिन मंत्री उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उमंग सिंघार ने कहा कि दिग्विजय सिंह पर्दे के पीछे से सरकार चला रहे हैं। उन्हें चिट्ठी लिखने की क्या जरूरत है। इस बात की शिकायत सिंघार ने सोनिया गांधी से भी की। वह सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। अगले दिन सिंघार ने तो दिग्विजय पर यहां तक आरोप लगा दिया कि वह शराब का धंधा करवा रहे हैं।
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सीएम ने संभाला मोर्चा
संगठन और सरकार में हड़कंप की गूंज दिल्ली में भी सुनाई देने लगी। उसके बाद सीएम कमलनाथ ने कहा कि सब जानते हैं कि सरकार कौन चला रहा है। मंगलवार को उन्होंने उमंग सिंघार से मुलाकात की। दोनों में बात हुई। उसके बाद सिंघार के दिग्विजय के प्रति रुख थोड़ा नरम हुआ है। लेकिन इतना तो तय है कि सरकार और संगठन सब ठीक-ठाक नहीं है।

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