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भोपाल

कर’नाटक’ की तरफ बढ़ रहा है मध्यप्रदेश का नाटक? वहां भी ऐसे ही शुरू हुआ था विरोध

जानिए कैसे कर’नाटक’ की तरफ बढ़ रहा है मध्यप्रदेश का नाटक

भोपालSep 04, 2019 / 05:18 pm

Muneshwar Kumar

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भोपाल/ कर्नाटक के नाटक का तो पटाक्षेप हो गया है। कांग्रेस वहां भी अंदरूनी खींचातान की वजह से सत्ता से हाथ धो बैठी। वहां भी जब अंदरूनी बगावत की शुरुआत हुई थी तो पार्टी नेतृत्व हमेशा ऑल इज वेल कहने में जुटी थी। अब ठीक उसी तरह से मध्यप्रदेश में अंदर-अंदर ही पॉवर की लड़ाई में पार्टी और सरकार कई खेमों में बंट गई है। ऐसे में सवाल यह है कि कहीं मध्यप्रदेश का नाटक भी तो ‘कर’नाटक की तरफ नहीं बढ़ रहा है।
मध्यप्रदेश में पंद्रह साल बाद कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की है। कांग्रेस यहां भी बहुमत से दूर है। सरकार निर्दलीय, सपा और बसपा के वैशाखी पर चल रही है। लेकिन कलह सहारा दे रहे विधायकों के बीच नहीं है। कलह अपने लोगों ने खड़ा किया है। ठीक वैसे ही जैसे कर्नाटक में कांग्रेस के विधायकों ने किया। इस सप्ताह से तो ऐसा बवंडर मचा है कि भोपाल से लेकर दिल्ली तक में हड़कंप है। सारी शिकायतें सोनिया गांधी तक पहुंच गई हैं।
kamal nath assured family of youth feared in pakistan
दरअसल, मध्यप्रदेश कांग्रेस सरकार की नींव ही बगावत की आंच पर पड़ी है। चुनाव नतीजे के बाद यह तय हो गया था कि पंद्रह साल बाद मध्यप्रदेश एक बार फिर से कांग्रेस की सरकार बननी है। उसके बाद से ही खींचतान शुरू हो गई है। सीएम पद की चाहत पाले बैठे ज्योतिरादित्य सिंधिया अड़े हुए थे। उनके समर्थक भी प्रदर्शन कर रहे थे। दिल्ली दरबार में पंचायत लगा। कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक टेबल पर बैठे। पंचायत सफल हुई तो राहुल ने 13 दिसंबर 2018 कमलनाथ और सिंधिया के साथ तस्वीर शेयर कर सीएम का ऐलान कर दिया।
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बॉडी लैंग्वेज तो कुछ और ही कर रहा था इशारा
राहुल गांधी जिस तस्वीर को ट्वीट किया था। उसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया का बॉडी लैंग्वेज बता रहा था कि वह इस फैसले के खुश नहीं हैं। भरे मन से इसे स्वीकार किया है। सरकार बन गई, कुछ दिन तक सब ठीक ठाक रहा। लेकिन बगावत के तेवर बीच-बीच में दिख जाती थी। सरकार के मंत्रिमंडल में ही कई गुट हैं। जो वक्त बेवक्त जाग उठते हैं और सरकार पर ही सवाल उठाते हैं।
Jyotiraditya Scindia supporters made a big statement
कैबिनेट मीटिंग में भी दिख चुकी है गुटबाजी
ये सिर्फ चर्चाएं नहीं हैं। सीएम कमलनाथ को भी पता है कि सरकार के अंदर कई गुट के मंत्री हैं। कुछ महीने पहले की ही बात हैं जब सिंधिया खेमे के एक मंत्री कैबिनेट की बैठक में सीएम कमलनाथ से भिड़ गए थे। बीच-बचाव कर अन्य मंत्रियों ने उन्हें शांत करवाया। लेकिन कमलनाथ बोल पड़े थे कि मुझे पता है कि आप किसके इशारे पर ये सब कर रहे हैं।
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प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए बढ़ी खींचतान
अब मध्यप्रदेश कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए जबरदस्त नाटक चल रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के मंत्री-विधायक उनकी दावेदारी जोरशोर से पेश कर रहे हैं। अखबारों में विज्ञापन से लेकर भगवान तक का सहारा ले रहे हैं। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से बस सिंधिया समर्थकों की एक ही मांग है कि महाराज को अध्यक्ष बना दो। समर्थकों की मांग पर सिंधिया सिर्फ यही बोलते हैं कि दिल्ली तय करेगा।
kamal nath
सिर्फ सिंधिया ही नहीं कमलनाथ भी चाहते हैं कि उनके लोगों को ही पीसीसी चीफ की कुर्सी मिले। उनके समर्थक मंत्रियों ने इसके लिए गृह मंत्री बाला बच्चन का नाम भी आगे बढ़ा दिया है। सिंधिया के नाम पर इस खेमे का जवाब हमेशा टाल-मटोल वाला ही रहता है।
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वहीं, पिछले कुछ दिनों से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का गुट भी अध्यक्ष पद की रेस में शामिल हो गया। इसके बाद तो गुटबाजी और भी चरम पर आ गई है। दिग्विजय गुट के अजय सिंह ने एक तरीके से शक्ति प्रदर्शन भी किया। दिग्विजय सिंह और उनकी मुलाकात के बाद भोपाल में बीस से पच्चीस विधायकों ने उनके आवास पर पहुंच मुलाकात की। हालांकि दिग्विजय सिंह अपने गुट के लिए खुलकर कुछ बोलते नहीं। लेकिन तीन दिन पहले जब वह भिंड के दौरे पर थे तो उन्होंने कहा था कि युवा नेता ही कोई प्रदेश अध्यक्ष बने।
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सरकार के अंदर भी बगावत
सीएम कमलनाथ बोल रहे हैं कि सब कुछ ठीक है। लेकिन सरकार के अंदर भी पावर सेंटर को लेकर होड़ मची है। दिग्विजय सिंह ने सभी मंत्रियों को एक चिट्ठी लिखी तो कमलनाथ सरकार के मंत्री उमंग सिंघार ने मोर्चा खोल दिया। उमंग ने तो कह दिया कि सरकार तो पर्दे के पीछे से दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। सिंघार यही नहीं रुके उन्हें ब्लैकमेलर तक कह दिया। इस विवाद ने तो घर की लड़ाई को बाहर निकाल दिया।
Sonia Gandhi
कांग्रेस के अंदर चल रहे इस विवाद में तीन गुट सक्रिय है। अंदर-अंदर बगावत की आग फैलती जा रही है। लेकिन कांग्रेस आलाकमान हमेशा इस दबाने की कोशिश में लगी है। बीजेपी शांत होकर तमाशा देख रही है। अपने विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद वह कभी सरकार गिराने की दावा नहीं करती। लेकिन बीजेपी के नेता यह कहते जरूर रहे हैं कि सरकार के लोग ही सरकार को गिरा देंगे।
BJP
ऐसे में प्रदेश कांग्रेस में सब कुछ ठीक है तब तो सही है। अगर गड़बड़ है तो कर्नाटक के जैसे ही मौके की ताक में बीजेपी तो बैठी है। यानी सावधानी हटी और दुर्घटना घटी वाली बात हो जाएगी। क्योंकि घर की लड़ाई अब सड़क पर आ गई है। दिग्विजय के समर्थकों ने तो मंत्री सिंघार के बंगले के बाहर प्रदर्शन किया है। अगर इस किले को बचाए रखना है तो कांग्रेस आलाकमान को इन तमाम विवादों को सुलझाना होगा।
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