मिनाक्षी मंडलोई जम्मू की रहने वाली हैं। मिनाक्षी और प्रफुल्ल मंडलोई अच्छी तरह से जानते थे कि शादी के बाद जम्मू-कश्मीर की नागरिकता छिन जाएगी। फिर भी दोनों की सगाई 2004 में हुई। उसके बाद 2007 में दोनों की धूमधाम से शादी हुई। अब दोनों पिछले बारह साल से खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। शादी के बाद ससुराल आना जाना लगा रहा लेकिन मिनाक्षी और उनके पति वहां न तो कुछ खरीद सकते थे और न ही वहां कुछ व्यवसाय कर सकते थे।
पत्रिका से बातचीत करते हुए प्रफुल्ल मंडलोई ने कहा कि हमारे ससुर बंटवारे के वक्त लाहौर से आकर जम्मू में बसे थे। वे संघ से जुड़े हुए हैं। वहीं, उनकी पत्नी मिनाक्षी मंडलोई के भाई लोग लद्दाख में रहते हैं। प्रफुल्ल कहते हैं कि साल में हमलोग जरूर एक बार जम्मू-कश्मीर जाते हैं। लेकिन उन्हें खुशी इस बात की है कि शादी के बाद कानूनी रूप से वे वहां के कुछ नहीं थे। लेकिन धारा 370 हटने के बाद उन्हें अब कानूनी रूप से दामाद का दर्जा मिल जाएगा।
प्रफुल्ल मंडलोई ने कहा कि उन्हें शादी के वक्त ही जिला प्रशासन की तरफ से एक एनओसी मिल गया था कि अब आप यहां के नागरिक नहीं रहे। इस एनओसी के मिलने के बाद प्रफुल्ल की पत्नी का भी कोई हक पैतृक प्रॉपर्टी पर नहीं था। अब सरकार के इस फैसले वे बहुत खुश हैं। प्रफुल्ल कहते हैं कि हमें लीगली दामाद का दर्जा मिल गया। साथ ही अगर मैं सोचूं तो वहां कोई प्रॉपर्टी भी ले सकता हूं। प्रफुल्ल मंडलोई के दो बच्चे भी हैं। उन्होंने अपने परिवार की कुछ तस्वीरें पत्रिका के साथ शेयर की हैं।
इसके साथ ही प्रफुल्ल मंडलोई बताते हैं कि अगर जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की पाकिस्तान के लड़के से शादी करती है। तो उसके लिए नियम बिल्कुल उल्ट है। उसे संवैधानिक रूप से मान्यता भी है। साथ में उस लड़के को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती है। वो जम्मू-कश्मीर में घर-मकान खरीद सकता है।