इन्हीं सीटों में से एक भाजपा के गढ़ भोपाल में भी पार्टी ने अब तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। जिसके चलते प्रदेश भर में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
वहीं कुछ जानकार इसे जानबुझकर भाजपा की एक रणनीतिक चाल मान रहे हैं। दरअसल पिछले दिनों कई लोग ये बातें भी कर रहे थे कि दिग्विजय के आगे भाजपा के नेता डर रहे हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि यहां से भाजपा को कमजोर आंकना कांग्रेस के लिए एक बड़ी गलती सिद्ध हो सकता है।
उनके अनुसार भाजपा की रणनीति को देखते हुए लगता है कि भाजपा के पास इस सीट के लिए अभी भी तुरुप का इक्का यानि योग्य उम्मीदवार है, जिसे समय आने पर ही भाजपा खोलेगी और जिसके माध्यम से वह कांग्रेस की सारी रणनीति फेल करने की कोशिश करेगी।
दरअसल अब सामने आ रहे नए समीकरणों में सूत्र बताते हैं कि भाजपा भोपाल से शिवराज सिंह को नहीं बल्कि उमा, बाबूलाल गौर या किसी दूसरे बड़े नेता को उतारने जा रही है। जिसके चलते कांग्रेस की रणनीति को फेल किया जा सके।
राजनीति के जानकार डीके शर्मा का कहना है कि ये हर कोई जानता है कि भोपाल पिछले तीन दशकों से भाजपा का गढ़ बना हुआ है, ऐसे में भाजपा दिग्विजय जैसे दिग्गज नेता के सामने किसी कमजोर नेता को उतारेगी, ये मानना ही गलत होगा। उनका कहना है कि अभी भी उमा,गौर या नरेंद्र सिंह तोमर जैसे मजबूत नेताओं को भाजपा यहां से टिकट दे सकती है।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में इस बात को लेकर काफी तसल्ली है कि भाजपा को अब तक दिग्विजय की काट नहीं मिली है।
संघ व भाजपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार भाजपा दिग्विजय का नाम सामने आते ही भोपाल के प्रत्याशी को लेकर अपना चयन कर चुकी है और भोपाल को लेकर रणनीति भी पूरी तरह से तैयार की जा चुकी है। लेकिन किन्हीं कारणोंवश अब तक नाम घोषित नहीं किया गया है। वहीं आशा है अब जल्द ही भाजपा प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी जाएगी।
वहीं कुछ सूत्रों का यहां तक कहना है कि नाम की घोषणा पहले भी की जा सकती थी, लेकिन भोपाल को लेकर पहले कई नेता खास इच्छुक थे, जिसके चलते नाम घोषित करने में देरी हो रही है।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से जुड़े लोगों का मानना है कि दिग्विजय जैसे बड़े नेता को भोपाल से प्रत्याशी बन जाने के चलते भाजपा की सारी चालें फेल हो गईं हैं। और उनका कोई भी प्रत्याशी दिग्विजय के सामने उतरना नहीं चाहता है। जिसके कारण भाजपा अब तक यहां से अपना प्रत्याशी तक घोषित नहीं कर पाई है।
उमा का नाम फिर आ रहा सामने…
वहीं दूसरी ओर एक बार फिर भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा केंद्रीय मंत्री उमा भारती को उतारने की बात सामने आ रही है। जानकारों के अनुसार अगर ऐसा हुआ तो उमा भारती का सीधे मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह से होगा। जबकि चर्चा है कि फिलहाल भाजपा इस सीट से केंद्रीय मंत्री उमा भारती एवं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के नामों पर मंथन कर रही है।
कुछ महीने पहले उमा भारती के लोकसभा चुनाव लड़ने से मना करने के बावजूद राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है, कि उमा या प्रज्ञा में से कोई एक भोपाल सीट पर भाजपा का प्रत्याशी हो सकता है।
ये हो सकती है रणनीति!
करीब 18 लाख मतदाताओं वाली भोपाल संसदीय सीट पर करीब 4.5 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। यदि ऐसा होता है तो भाजपा इस सीट पर वोटों का ध्रुवीकरण कर सकती है, ताकि दिग्विजय जैसे मजबूत उम्मीदवार को हराया जा सके।
वहीं दिग्विजय को उनके पूर्व में दिए गए बयानों में संघ परिवार पर बार-बार हमला करने के लिए कट्टर हिंदूवादी उन्हें हिंदू विरोधी मानते हैं।
वर्ष 1989 से भोपाल लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ रही है। उमा इससे पहले वर्ष 1999 में भी भोपाल सीट से सांसद रह चुकी है। उस वक्त उमा ने कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को 1.68 लाख से ज्यादा मतों से पराजित किया था।
बता दें कि कांग्रेस ने वर्ष 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में भोपाल सीट जीती थी। तब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में कांग्रेस की लहर थी, जिसके चलते भोपाल से केएन प्रधान जीते थे।