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भोपाल

पानी में बचने के लिए छटपटाते रहे, फिर टूटती चली गईं सांसें, 11 लोगों की मौत का जिम्मदार कौन?

boat accident update: भोपाल/ नाव दुखांतिका – घटना के वक्त खटलापुरा घाट पर तैनात नहीं था कोई बड़ा अधिकारी

भोपालSep 14, 2019 / 08:49 am

KRISHNAKANT SHUKLA

पानी में बचने के लिए छटपटाते रहे, फिर टूटती चली गईं सांसें, 11 लोगों की मौत का जिम्मदार कौन?

पानी में बचने के लिए छटपटाते रहे, फिर टूटती चली गईं सांसें, 11 लोगों की मौत का जिम्मदार कौन?

भोपाल. छोटा तालाब के खटलापुरा घाट पर शुक्रवार तड़के गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान नाव पलटने से 11 युवकों की डूबकर मौत हो गई। छह लोगों को बचा लिया गया। घटनास्थल के समीप एसडीआरएफ, होमगार्ड व पुलिस के मुख्यालय हैं। इसके बावजूद घाट पर हादसा रोकने खास प्रबंध नहीं किए गए। घटना के करीब 20 मिनट बाद बचाव दल ने पानी से शव निकाले।

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पिपलानी की प्रतिमाओं का विसर्जन हथाईखेड़ा में होता है, लेकिन ये लोग 12 फीट की प्रतिमा लेकर खटलापुरा चले आए। धारा 144 होने के बाद भी किसी अधिकारी ने इन्हें रोकने की जहमत नहीं उठाई। घटना की मजिस्टे्रट जांच होगी। प्रत्येक मृतक के परिजन को सरकार 11 लाख, नगर निगम 2 लाख व रेडक्रॉस 50 हजार की मदद देगी।

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ऐसे हुई घटना

आपस में जुड़ीं दो नाव में 5 नाविकों को मिलाकर कुल 24 लोग वजनदार 12 फीट की प्रतिमा के साथ सवार थे। 
प्रतिमा वजन के कारण असंतुलित हुई और तिरछी होकर गिरी। इससे एक नाव में पानी भर गया और वह डूबने लगी।
युवक घबराकर दूसरी नाव में जा चढ़े, लेकिन वह भी डूबी और मदद को आई एक अन्य नाव भी डूब गई। 
चौथी नाव से कुछ युवकों को बचा लिया गया, जबकि कुछ पानी में छटपटाते रहे। अंतत: डूबने से मौत हो गई।

घटना के वक्त खटलापुरा घाट पर तैनात नहीं था कोई बड़ा अधिकारी

क्या यही जिम्मेदार: 4 नाविक, 2 नगर निगम अफसर, 1 एएसआई व आरआई
मंत्री ने कहा- मजिस्ट्रेट, पुलिस अफसर
और गोताखोर होते तो टल जाती घटना

लापरवाही ऐसी, किसी ने नहीं रोका
मरने वालों में 12 से 25 वर्ष के युवक, ज्यादातर पिपलानी की एक कॉलोनी के 17 युवकों में से कोई भी नहीं जानता था तैरना
बुझ गए 11 चिराग

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आंखों के सामने मौत का तांडव….नाव पकड़कर किनारे आया, दो को बचाया पर भाई डूबा

रात करीब 12 बजे प्रतिमा विसर्जन के लिए झांकी सौ क्वार्टर पिपलानी मोहल्ले से निकली थी। साढ़े तीन बजे खटलापुरा घाट पहुंची। क्रेन वाले ने विसर्जन का भाड़ा 1000 रुपए मांगा। इसी बीच नाव वाले आ गए। बोले-600 रुपए में मूर्ति विसर्जित करने दूर तक चलेंगे। मूर्ति का आकार बड़ा होने से दो नावों को रस्सी से जोड़ा। नाव में 24 लोग सवार थे। इनमें पांच नाव वाले भी थे।

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दो दोस्त तुरंत उतर गए। घाट से करीब 50 फीट दूर नाव पहुंची थी कि संतुलन बिगडऩे लगा। प्रतिमा को संभाला। हमने नाव वालों से पूछा कि दिक्कत हो तो बता दो, हम लोग उतर जाएंगे। एक नाव में पानी भरने लगा। हम दूसरी नाव की तरफ जाने लगे। नाव पलट गई। हम 17 दोस्त पानी में थे। मैं एक नाव को पकड़कर किनारे आया। दो लोगों को हाथ देकर बचाया। मेरा छोटा भाई हरि समेत 11 साथी डूब गए। नाव वाले बाहर आए और भाग गए।
– कमल राणा, अध्यक्ष, 100 क्वार्टर पिपलानी झांकी समिति (पत्रिका को बताया)

 

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