scriptएमपी के सांची को गया और सारनाथ से जोड़कर बनेगा बौद्ध सर्किट, 70 करोड़ रुपए से एप्रोच रोड, बुद्धिस्ट थीम पार्क तैयार | Buddhist Circuit will be built by connecting sanchi to bodhgaya sarnath mp tourism board spent 70 crore rupees built buddh theme park etc | Patrika News
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एमपी के सांची को गया और सारनाथ से जोड़कर बनेगा बौद्ध सर्किट, 70 करोड़ रुपए से एप्रोच रोड, बुद्धिस्ट थीम पार्क तैयार

boodh purnima special: पर्यटन को बढ़ावा: देने एमपी टूरिज्म बोर्ड ने अब तक खर्च कर चुका है 70 करोड़ रुपए…

भोपालMay 23, 2024 / 11:49 am

Sanjana Kumar

bodh circuit

मध्य प्रदेश के सांची के साथ जुड़ेगा बोध गया और सारनाथ.

देश में बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर आने वाले देश और विदेश के बौद्ध अनुयायियों को मध्यप्रदेश की ओर आकर्षित करने के लिए मप्र टूरिज्म बोर्ड द्वारा बौद्ध सर्किट विकसित किया जा रहा है। बौद्ध धर्म के दो प्रमुख केंद्र बोधगया और सारनाथ से जिले की विश्व धरोहर तथा बौद्ध तीर्थ सांची को जोड़ते हुए सर्किट बनाया जा रहा है। इस दिशा में काम शुरू हो गए हैं।
प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन विभाग और प्रबंध संचालक मप्र टूरिज्म बोर्ड शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि भगवान बुद्ध से जुड़े गंतव्य बौद्ध सर्किट, दुनिया भर के बौद्ध अनुयायियों के लिए प्रमुख केंद्र होते हैं। मध्यप्रदेश में भी कुछ ऐसे स्थल हैं, जो भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े हैं।
शुक्ला ने बताया कि एमपी टूरिज्म बोर्ड (MP Tourism board) द्वारा स्वदेश दर्शन योजना के तहत सांची, मंदसौर, धार, सतना, रीवा सहित रायसेन के सतधारा, सोनारी, मुरेल खुर्द विदिशा जिले के ग्यारसपुर जैसे स्थानों को विकसित करने के लिए 70 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। यहां बौद्ध अनुयायियों एवं पर्यटकों की सुविधा के लिए एप्रोच रोड, मेडिटेशन सेंटर, एंटरप्रेटेशन सेंटर, बुद्धिस्ट थीम पार्क, पर्यटन सुविधा केंद्र, मार्ग सुविधा केंद्र विकसित किए गए हैं। प्रयास किए जा रहे हैं कि बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर जैसे धार्मिक केंद्रों पर भ्रमण पर आने वाले अनुयायियों एवं पर्यटकों को जिले के सांची सहित अन्य स्थानों तक लाने के लिए प्रेरित किया जा सके।

ऐसा है ऐतिहासिक बौद्ध सर्किट

दुनियाभर के बौद्ध अनुयायी नई दिल्ली से लु्िबनी, बोधगया, सारनाथ से कुशीनगर होते हुए बौद्ध साधक व धर्मावलंबी देउरकोठार रीवा से मध्यप्रदेश में प्रवेश करते थे। यहां से बरहुत स्तूप सतना से होते हुए सांची से सतधारा, सोनारी, अंधेर, मुरेलखुर्द से उज्जैन पहुंचते थे। यहां से सभी धमनार और फिर बाघ गुफाओं में भ्रमण कर नर्मदा एवं ताप्ती नदी पार करते हुए अजंता, अमरावती से होते हुए दक्षिण भारत और फिर वहां से वे श्रीलंका प्रस्थान करते थे।

सांची बनेगा पर्यटन का प्रमुख केंद्र

एमपी टूरिज्म बोर्ड (MP Tourism Board) की अपर प्रबंध संचालक बिदिशा मुखर्जी ने बताया कि सांची को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख बौद्ध केंद्र के रूप में स्थापित करने विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। हाल ही में मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल सांची के बौद्ध स्तूप परिसर में रखे भगवान बुद्ध के शिष्यों अर्हन्त सारिपुत्र और अर्हंत महामोगल्यान के पवित्र अवशेषों को दर्शन के लिए बैंकाक, थाईलैंड और कंबोडिया विहार ले जाया गया था। विश्व के विभिन्न देशों से बड़ी संख्या में बौद्ध अनुयायी भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के पवित्र अवशेषों के दर्शन के लिए पहुंच थे और फिर सांची आने के लिए उत्साहित दिखे।

सौंदर्यीकरण के साथ हुआ विकास भी

सांची में मार्शल हाउस, एप्रोच रोड, लाइट एंड साउंड शो, पर्यटक सुविधा केंद्र, कनक सागर झील का विकास और सौंदर्यीकरण, बौद्ध थीम पार्क का विकास आदि कार्य कराए गए हैं। सतधारा, सोनारी, मुरेल खुर्द और ग्यारसपुर में एप्रोच रोड, मेडिटेशन कियोस्क एवं परिसर का विकास कार्य कराए गए हैं। हालांकि इनमें से कई कार्य पूर्ण होने के बाद फिर बदहाल हो गए हैं।

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