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भोपाल

जब नारों ने बदल दी सत्ता: इस बार कभी किसान तो कभी विकास पर वार-पलटवार

उपचुनाव के लिए कांग्रेस अपना थीम सांग भी जारी कर चुकी है।
भाजपा ने अभी तक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कि है जबकि कांग्रेस 24 उम्मीदवारों के नाम का एलान कर चुकी है।

भोपालSep 28, 2020 / 07:30 am

Pawan Tiwari

जब नारों ने बदल दी सत्ता: इस बार कभी किसान तो कभी विकास पर वार-पलटवार

जब नारों ने बदल दी सत्ता: इस बार कभी किसान तो कभी विकास पर वार-पलटवार

भोपाल. प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव किसी आम चुनाव से कम नहीं हैं। इन चुनावों से ही प्रदेश की सत्ता तय होगी। यही वजह है कि कोरोना के बाद भी चुनावी माहौल गरमा गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों तरफ से आरोपों के तीर चल रहे हैं। चुनाव में नारों की हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इतिहास पर नजर डालें तो एक नारे ने सत्ता बदलने तक का काम किया है। प्रदेश में अब नारे इंदिरा के गरीबी हटाओ से लेकर एक-दूसरे को गद्दार ठहराने तक पहुंच गए हैं।
अब बिकाऊ और टिकाऊ पर टिकी सियासत
इन उपचुनावों में बिकाऊ और टिकाऊ पर पूरी सियासत टिक गई है। कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों को गद्दार बताया है और कांग्रेस का नारा है कि गद्दारों का छोड़ो साथ-कांग्रेस का थामों हाथ। भाजपा भी पीछे नहीं हैं। सिंधिया ने कमल नाथ और दिग्विजय को ही गद्दार ठहरा दिया है। इन उपचुनावों में एक बात साफ है कि जनता इसी बात का फैसला करेगी कि आखिर गद्दार कौन है।
जब नारों ने बदल दी सत्ता
दिग्विजय सिंह के शासनकाल में बदलाव का बड़ा कारण भाजपा के चुनावी नारे को ही माना जाता है। तब भाजपा का चेहरा बनीं उमा भारती ने दिग्विजय को मिस्टर बंटाधार का नाम दिया। इसकी छाप ऐसी लगी कि दिग्विजय उसे आज तक नहीं मिटा पाए।
कब कौन से नारे
2008 के चुनाव में भाजपा ने नारा दिया ‘फिर भाजपा-फिर शिवराज’
2013 में भाजपा ने मोदी व शिवराज को आगे रख ‘एक और एक ग्यारह’ का नारा दिया।
2018 में कांग्रेस ने ‘कांग्रेस का कहना साफ-हर किसान का कर्जा माफ’ का नारा दिया।

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