इन उपचुनावों में बिकाऊ और टिकाऊ पर पूरी सियासत टिक गई है। कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों को गद्दार बताया है और कांग्रेस का नारा है कि गद्दारों का छोड़ो साथ-कांग्रेस का थामों हाथ। भाजपा भी पीछे नहीं हैं। सिंधिया ने कमल नाथ और दिग्विजय को ही गद्दार ठहरा दिया है। इन उपचुनावों में एक बात साफ है कि जनता इसी बात का फैसला करेगी कि आखिर गद्दार कौन है।
दिग्विजय सिंह के शासनकाल में बदलाव का बड़ा कारण भाजपा के चुनावी नारे को ही माना जाता है। तब भाजपा का चेहरा बनीं उमा भारती ने दिग्विजय को मिस्टर बंटाधार का नाम दिया। इसकी छाप ऐसी लगी कि दिग्विजय उसे आज तक नहीं मिटा पाए।
2008 के चुनाव में भाजपा ने नारा दिया ‘फिर भाजपा-फिर शिवराज’
2013 में भाजपा ने मोदी व शिवराज को आगे रख ‘एक और एक ग्यारह’ का नारा दिया।
2018 में कांग्रेस ने ‘कांग्रेस का कहना साफ-हर किसान का कर्जा माफ’ का नारा दिया।