सरकारों को जवाब प्रस्तुत करने के लिए चार से छह हफ्ते का समय दिया गया है। कोहली ने अपनी याचिका में सरकार के पूरा सर्विस रिकॉर्ड देखे बगैर अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के फैसले को कैट में चुनौती दी है।
स्टेट सर्विस रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने के एक महीने बाद देवेश कोहली केन्द्र और राज्य सरकारों के खिलाफ कैट पहुंच गए हैं। कोहली का आरोप है कि उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला लेने से पहले शासन और अफसरों ने उनका पक्ष ही नहीं सुना है और सिर्फ दस साल की गोपनीय चरित्रावली (सीआर) देखी गईं।
उनमें भी तीन साल की खराब सीआर को आधार बनाकर चंद मिनटों में अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला ले लिया। मामले में कोहली के अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने बताया कि कैट ने कोहली का प्रकरण स्वीकार करते हुए केन्द्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया। दोनों सरकारों का जवाब आने के बाद आने की कार्यवाही तय होगी। उधर, कैट का नोटिस मिलते ही राज्य शासन और वन विभाग हरकत में आ गया है। कोहली के पूरे कार्यकाल की सीआर तलाश की जा रही है।
30 अगस्त को दी गई अनिवार्य सेवानिवृत्ति
केन्द्र सरकार के 20-50 फॉर्मूले के तहत कोहली को स्टेट सर्विस रिव्यू कमेटी ने नौकरी के लिए अनफिट माना था। नवंबर 2016 में कोहली का प्रकरण केन्द्र सरकार को भेजा गया था। केन्द्र सरकार ने 30 अगस्त 2018 को उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी।
कोहली अब तक डीएफओ कोहली के बैच के अन्य अफसर पीसीसीएफ के पद पर पहुंच गए हैं। जबकि वे अब तक डीएफओ ही थे। सीआर खराब होने के कारण उन्हें चार पदोन्नति नहीं मिल पाईं। वे पदोन्नति की मांग भी कर रहे हैं।