मप्र स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में हः साल लगभग पांच हजार नए मरीज इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। उधर, राज्य में बजट बढ़ने की जगह कम होता जा रहा है। पिछले पांच साल के भीतर सालाना बजट में 17 करोड़ रुपए कम हो गए। 2014-15 में सालाना बजट 55 करोड़ रुपए था। अब करीब 38 करोड़ रुपए हो गया है।
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मरीजों के लिए दवा ही बनी संकट
एचआइवी एड्स के मरीजों को दी जा रही दवा ही संकट बन रही है (यमन इम्युनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम के को दी जाने वाली दवाओं से बुखार, अधिक नींद आना, चक्कर आना, उल्टी-दस्त जैसे साइड इफेक्ट के साथ किडनी-लिवर में समस्या हो रही है। हालांकि अब नेशनल एड्स मार एचआइवी मरीजों को से साइड इफेक्ट पाए जाने पर डोल्यूटिग्रावीर दवा दी जा रही है।
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लगातार हो रहे थे साइड इफेक्ट
नोडल ऑफिसर, एआरटी सेंटर, हमीदिया हॉस्पिटल डॉ. हेमंत वर्मा ने बताया कि मरीजों को दी जाने वाली दवाओं से नींद, चक्कर आना और भूख नहीं लगना जैसे साइड इफेक्ट देखने को मिले हैं। एक दवा बदलकर अब डोल्यूटिग्रावीर दवा दे रहे हैं।