भोपाल के दिल्ली पब्लिक स्कूल नीलबड़ से ह्यूमेनिटीज स्ट्रीम की शब्दिता तिवारी ने 98.6 फीसदी अंकों के साथ 12वीं क्लास में सिटी के साथ-साथ स्टेट टॉपर भी बन गईं। ह्यूमेनिटी स्ट्रीम से ही आर्मी पब्लिक स्कूल की कनिनिका सिंह को ९८.४ फीसदी नंबर्स के साथ दूसरा स्थान और डीपीएस के पीसीएम स्ट्रीम के आयुध सक्सेना को 98 फीसदी नंबर्स के साथ तीसरा स्थान हासिल हुआ। ९७.४ फीसदी नंबर्स के साथ कार्मल कॉन्वेंट की इश्तिा जैन चौथे नंबर पर रहीं। वहीं ९७.२ फीसदी नंबर्स के साथ सेंट पॉल स्कूल की कॉमर्स स्ट्रीम की मेघा उन्नीनायार और सागर पब्लिक स्कूल की त्रिशा अग्रवाल पांचवे स्थान पर रहे।
आइए जानते हैं क्या कहते हैं टॉपर बच्चे
पेरेंट्स का कोई प्रेशर नहीं था, इसलिए बनी टॉपर
पत्रिका प्लस से हुई विशेष बातचीत में शब्दिता तिवारी ने बताया कि पीसीएम और कॉमर्स में मेरा शुरुआत से ही इंट्रेस्ट नहीं था अगर मैं इन सब्जेक्ट्स को लेती तो मैं अपना १०० पर्सेंट नहीं दे पाती। मेरा हिस्ट्री में इंट्रेस्ट था तो सोचा कि इसी सब्जेक्ट को क्यों ना पढ़ें। शब्दिता ने बताया कि मुझे ९५ पर्सेंट की तो उम्मीद थी लेकिन 98.6 पर्सेंट आ जाएंगे और सिटी और स्टेट टॉपर बन जाऊंगी यह कल्पना भी नहीं की थी। मुझे हिस्ट्री, जियोग्राफी साइकोलॉजी में १०० पर्सेंट मिला। भविष्य में दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिस्ट्री ऑनर्स करना है। फिर इंटरनेशनल रिलेशन में जाने की इच्छा है। शब्दिता के पापा दीपक तिवारी पत्रकार और मां स्वाति तिवारी बिजनेस कंसल्टेट हैं।
ह्यूमेनिटी लेना भी मेरा डिसीजन था
शब्दिता ने बताया कि 98.6 पर्सेंट आ जाने की बड़ी वजह किसी भी तरह के एक्टर्नल प्रेशर का ना होना है। मुझे मम्मी-पापा ने कभी फोर्स नहीं किया। पेरेंट्स ने हमेशा कहा तुम्हें जो करना है कर लो कोई प्रेशर नहीं है। मेरा मानना है कि जब तक आप डिसाइड नहीं करोगे तब तक आप कुछ नहीं कर सकते। १२वीं में ह्यूमेनिटी लेना मेरा डिसीजन था और अब डीयू से हिस्ट्री ऑनर्स करना भी मेरा ही डिसीजन है।
टीचर्स कहते थे डाउट हो तो रात के तीन बजे भी कॉल करो
शब्दिता बताती हैं कि इस सफलता में स्कूल की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही। डीपीएस में जितने भी टेस्ट या एग्जाम होते हैं उससे हम बोर्ड एग्जाम के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं। टीचर्स का कहना था कि आपको अगर रात के तीन बजे भी कोई डाउट हो तो बेझिझक कॉल कीजिए और जरूरत पडऩे पर हमने उन्हें कॉल भी किया।
एग्जाम टाइम में सोशल मीडिया भी जरूरी है
शब्दिता बताती हैं कि मैंने एग्जाम टाइम में भी सोशल मीडिया से बिल्कुल भी दूरी नहीं बनाई। क्योंकि आप लगातार पढ़ाई करते हैं तो एक समय ऐसा आता है जब आपको रिलैक्स करने की जरूरत होती है। इसके अलावा फ्रेंड्स के साथ ग्रीनरी के बीच १५ से २० मिनट की वॉक करते थे जो एनर्जी बूस्टर का काम करता था।