केन्द्र सरकार का मानना है कि आयुष का एक बड़ा अमला है, जो कोरोना के इलाज और देख-भाल में सीधे तौर पर काम करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं है। आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथी के हजारों कर्मचारियों की सहभागिता कोराना संक्रमण से लड़ाई लडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका सीधे तौर पर निभा सकते हैं, अगर उन्हें एक टेक्निकल ट्रेनिंग दे दी जाए तो। यह ट्रेनिंग चार अप्रैल से पूरे प्रदेश में ऑन लाइन शुरू की जाएगी।
इस ट्रेनिंग में प्रदेश के 52 जिला अधिकारी, 36 निजी आयुर्वेदिक कॉलेज तथा 9 शासकीय कॉलेजों के प्राध्यापक और जिला अस्पतालों के डॉक्टरों को शामिल किया जाएगा। यह डॉक्टर अपने अपने जिले में और कालेजों में अन्य प्राध्यापकों और पैरामेडिकल स्टाफ, वार्ड बॉय, नर्सों को प्रशिक्षण देंगे। यही डॉक्टर ब्लाक स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने का भी काम करेंगे, जिससे कि ग्रामीण स्तर पर कोरोना संक्रमण को जड़ से समाप्त करने का काम किया जा सके। आशा कार्यकर्ताओं का उपयोग सरकार ग्राम स्वास्थ्य रक्षक और स्वास्थ्य जागरूकता के रूप में लिया जाएगा। यह स्वास्थ्य विभाग और ग्रामीण के बीच में एक दूत के रूप में काम करेंगी। ग्रामीणों में कोरोना के लक्षण मिलने, बीमार होने की सूचना भी जिला और ब्लाक स्तर के कंट्रोल रूम में देने तथा उन्हें वहां तक पहुंचाने का काम काम करेंगे।