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रिसर्च में चौकाने वाला खुलासा- ज़िंदा नहीं, प्रोटीन मॉलीक्यूल है कोरोना वायरस, ऐसे करें बचाव

हालही में हुए एक शौध में कोरोना संक्रमण को लेकर कई चौकाने वाली चीजे सामने आई है, जिनके बारे में आपका जानना बेहद जरूरी है।

भोपालApr 02, 2020 / 10:19 pm

Faiz

coronavirus research

रिसर्च में चौकाने वाला खुलासा- ज़िंदा नहीं, प्रोटीन मॉलीक्यूल है कोरोना वायरस, ऐसे करें बचाव

भोपाल/ कोरोना वायरस का संक्रमण भारत के साथ साथ मध्य प्रदेश में भी काफी तेजी से बढ़ने लगा है। जहां एक तरफ देश में अब तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 1965 हो चुकी है। वहीं, मध्य प्रदेश में अब तक इस संक्रमण ने 98 लोगों को अपना शिकार बना लिया है। चीन के वुहान से शुरु होकर लगभग पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले चुके कोरोना वायरस से बचाव। साथ ही, इसकी दवा और टीका बनाने के लिए कई देश जी-जान से जुटे हुए है। हालांकि, अब तक इस संक्रमण की कोई पर्याप्त दवा नहीं बनाई जा सकी है, लेकिन कई शोधों में ये सिद्ध हो चुका है, किन सावधानियों को बरतकर हम इस संक्रमण की चपेट में आने से बच सकते हैं। हालही में हुए एक शौध में कोरोना संक्रमण को लेकर कई चौकाने वाली चीजे सामने आई है, जिनके बारे में आपका जानना बेहद जरूरी है।

 

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कोरोना वायरस से बचे रहने के लिए बेहद जरूरी है जानकारी

कोरोना संक्रमण की रोकथाम और उसके बचाव से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाने में भारत समेत खई विकासशील और विकसित देशों के वैज्ञानिक मुस्तैदी से जुटे हुए हैं। हालही में जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी ने भी कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए कुछ जरूरी तथ्य साझा किए हैं, जो सभी के लिए जानना बेहद जरूरी है। शोध में सामने आए नतीजों के आधार पर कोरोना वायरस से बचने के उपाय भी साझा किये गए हैं। आइये जानते हैं रिपोर्ट के जरिये उन खास बातों के बारे में…।

 

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जीवित नहीं है ये वायरस- शोध

शोध में सामने आया कि, पूरी दुनिया के लिए महामारी बन चुका ये वायरस कोई जिंदा जीव नहीं है, बल्कि एक तरह का प्रोटीन मॉलीक्यूल यानी डीएनए है। ये लिपिड (फैट या वसा) की परत से घिरा हुआ है। यह जब आंख या नाक या बुक्कल म्यूकोसा (एक तरह का मुख कैंसर) की सेल्स द्वारा सोखा जाता है तो अपने जेनेटिक कोड को बदलकर आक्रामक और मल्टीप्लायर सेल्स में बदल जाता है। इंसानी शरीर में पहुंचते ही ये संक्रमण खुद को तेजी से जनरेट करने लगता है। चूंकि ये वायरस कोई जीव नहीं बल्कि एक प्रोटीन मॉलीक्यूल है, इसलिए ये मरता भी नहीं है। बल्कि जहां इसके बढ़ने की संभावना नहीं होती वहां ये खुद ही नष्ट हो जाता है। इसके नष्ट होने का कारण समय, तापमान, ह्यूमिडिटी (नमी) से होता है। साथ ही, इसपर भी निर्भर करता है कि, ये है किस चीज पर।

 

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किस तरह एक से दूसरे को फैलता है संक्रमण और किस चीज पर कितनी देर में होता है नष्ट?

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-कोरोना को बचाती है वसा की परत

सिर्फ एक चीज है, जिससे ये वायरस बचा रहता है और वो है इस वायरस की पतली बाहरी परत, इसे फैट भी कहते हैं। हालांकि, इस परत को सबसे कारगर तरीके से साबुन या डिटर्जेंट से काटा जा सकता है। क्योंकि फोम किसी भी लेयर या फैट को काटने में सबसे कारगर चीज होता है। इसी लिए बारा बार कहा जा रहा है कि, अपने हाथों को साबुन या डिटर्जेंट लगाकर कम से कम 20 सेकंड रगड़ना चाहिए, क्योंकि जितना ज्यादा झाग बनेगा, ये कोरोना संक्रमण को उतने ही कारगर तरीके से नष्ट करेगा।


-गरम पानी कारगर

फैट की लेयर घुलने से प्रोटीन मॉलीक्यूल बिखरकर टूट जाते हैं। वायरस पर हीट पड़ने से भी ये पिघलते हैं। ऐसे में गरम पानी से नहाना, हाथ-पैर या कपड़े धोना ज्यादा फायदेमंद होता है। शोध के मुताबिक, 25 डिग्री सेल्सियस ये अधिक गर्म पानी कोरोना संक्रमण के कवर कवच को नष्ट करने में कारगर है। इसके अलावा, गर्म पानी में झाग भी ज्यादा बनता है। ऐसे में सादे पानी के मुकाबले इसका इस्तेमाल ज्यादा कारगर है।

 

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-मेडिकेटेड अल्कोहल, सेनिटाइजर कारगर

मेडिकेटेड अल्कोहल या 65 फीसदी या उससे ज्यादा अल्कोहल से बना कोई द्रव किसी भी प्रकार के फैट को गलाने में कारगर होता है। खासतौर पर ये वायरस की बाहरी लिपिड या वसा की परत को गलाने में सक्षम होता है।इसके अलावा, एक हिस्सा ब्लीच और पांच हिस्सा पानी से बना कोई भी मिक्सचर प्रोटीन लेयर को गलाने का काम करता है।


-कपड़े पहनने से पहले बरतें सावधानी

आमतौर पर हमारी आदत होती है कि, हम अपने कपड़ों को पहनने से पहले झटक लेते हैं। लेकिन, ऐसा करना इन दिनों नुकसान का सौदा हो सकता है। अपने पहनने वाले कपड़े या शीट्स को फिलहाल इस्तेमाल से पहले झटकने से बचें। हालांकि, ये किसी भी पोर्स में शरण लेता है। लेकिन, ये फेब्रिक या पोरस सतह पर चिपककर ज्यादा से ज्यादा 3 घंटे ही सक्रीय रहता है, इसके बाद नष्ट हो जाता है। लेकिन अगर आप कपड़ों आदि को झटकते हैं या डस्टर यूज करने से पहले उसे झटकते हैं तो उसपर लगा वायरस मॉलीक्यूल हवा में उड़ जाता है, जो वहां इससे अधिक समय टिका रह सकता है। वहां से इसके किसी भी इंसानी शरीर में जाने का खतरा भी अधिक हो जाता है।

 

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-इन चीजों पर इतनी देर रह सकता है सक्रीय

कॉपर पर कोरोना संक्रमण सिर्फ चार घंटों में नष्ट हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी नमी इसपर इतने समय में सूख जाती है। इसके अलावा कार्डबोर्ड पर ये 24 घंटे तक सक्रीय रहता है। मेटल पर ये 42 घंटे तक सक्रीय रहता है। प्लास्टिक पर इसकी सक्रीयता 72 घंटों तक रहती है।


-वायरस का प्रोटीन

रिसर्च में सामने आया कि, वायरस के मॉलीक्यूल ठंडे वातावरण में ज्यादा देर तक सक्रीय रह सकता है। इसके अलावा, घरों और कारों में लगे एयर कंडीशनर्स पर भी यह ज्यादा देर टिक सकता है। इन्हें टिके रहने के लिए नमी की भी जरूरत होती है और खासतौर पर अंधेरे में ये ज्यादा देर तक सक्रीय रहता है। वहीं सूखे, बिना आर्दता वाले, गर्म और रोशनी वाले माहौल में ये तेजी से टूट जाता है। किसी वस्तु पर यूवी लाइट से इस वायरस का प्रोटीन टूट जाता है। मिसाल के तौर पर, मास्क को डिसइनफेक्ट करने और दोबारा इस्तेमाल करने के लिए ऐसा किया जा सकता है। लेकिन, सावधान रहें क्योंकि ये स्किन में मौजद कोलेजन को भी तोड़ देता है और ऐसे में झुर्रियां और स्किन कैंसर पैदा कर सकता है। ये वायरस स्वस्थ स्किन से अंदर नहीं जा सकता। सिरका (विनेगर) इस पर काम नहीं करता क्योंकि ये फैट की सुरक्षात्मक लेयर को तोड़ नहीं पाता।

शराब या वोदका का भी इसपर कोई असर नहीं होता। क्योंकि, सबसे स्ट्रॉन्ग वोदका में 40 फीसदी अल्कोहल होता है। वहीं, इस संक्रमण को नष्ट करने में 65 फीसदी अल्कोहल होना आवश्यक है। इसके बजाय लिस्टरीन कारगर साबित होगी, क्योंकि इसमें 65 फीसदी अल्कोहल होता है। जितनी बंद जगह होगी उतना ज्यादा वायरस सघन हो सकता है। ज्यादा खुले और प्राकृतिक रूप से हवादार जगह पर यह कम असरदार होगा।


-इन बातों का भी रखें खास ध्यान

म्यूकोसा, फूड, ताले, नॉब्स, स्विच, रिमोट कंट्रोल, सेल फोन, घड़ियां, कंप्यूटर, डेस्क, टीवी को छूने के पहले और बाद में हाथ धोएं। इसके अलावा, बाथरूम जाने से पहले और बाद भी हाथों को धो लें। हाथों को बार-बार धोने के बाद उन्हें नम नम करना भी जरूरी है। क्योंकि मॉलीक्यूल माइक्रो क्रैक्स में छिप सकते हैं, जितना गाढ़ा मॉइश्चराइजर हो उतना अच्छा। साथ ही, हाथ पैरों के नाखून भी छोटे रखें, ताकि वायरस को इनमें छिपने की जगह न मिल सके।

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