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भोपाल

ज्योतिषी बोले- जल्द मिल जाएगी कोरोना महामारी से राहत, ग्रहों ने बदली है चाल

एस्ट्रोलॉजर पंकज उपाध्याय बता रहे हैं कब मिलने वाली है कोरोना महामारी से राहत…।

भोपालApr 03, 2020 / 05:21 pm

Manish Gite

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भोपाल। विश्वव्यापी महामारी से पूरी दुनिया सहमी हुई है। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि यह महामारी कब तक चलेगी और कब खत्म होगी। ऐसी ही लोगों की जिज्ञासा को लेकर मध्यप्रदेश के एस्ट्रोलॉजर पंकज उपाध्याय बता रहे हैं कि जो समय शुरू हुआ है, उससे जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद है। उम्मीद के मुताबिक परिणाम देखने को मिलने वाले हैं।

 

एस्ट्रोलॉजर पंकज उपाध्याय का कहना है कि 59 वर्ष के बाद मकर राशि में गुरु और शनि दोनों साथ में भ्रमण कर रहे हैं। धनु राशि से निकलकर गुरु मकर राशि में प्रवेश कर गए हैं, जो उसकी नीच की राशि है, गुरु यहां 3 माह तक रहेंगे और पुनः वक्री गति से भ्रमण कर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। शनि यहां पर पहले से मौजूद हैं, जो उसकी स्वयं की राशि है। देश दुनिया जिस परिस्थिति से अभी गुजर रही है, वैसे में इस राशि परिवर्तन को बहुत ध्यान से देखने और समझने की आवश्यकता है।

 

ऐसी है ग्रहों की स्थिति
याद करें कि गुरु का धनु में प्रवेश 5 नवंबर 2019 को हुआ था, जहां पर पहले से ही शनि और केतु मौजूद थे। गुरु वृद्धि का कारक है और अग्नि तत्व प्रधान राशि में गुरु की उपस्थिति कभी भी बहुत सुखद नहीं मानी गई है। धनु उसकी स्वयं की राशि जरूर है परंतु अग्नि तत्व प्रधान राशि है, ऐसी परिस्थिति में गुरु जो कि वृद्धि का कारक ग्रह है, नकारात्मक वृद्धि देने की परिस्थिति निर्मित करता है। वर्ष 2008 में भी गुरु धनु राशि में था। तब सेंसेक्स ने और अर्थव्यवस्था ने नीचे गोते लगाए थे। धनु राशि में शनि कमजोर फल प्रदान करता है और केतु जो कि एकांत, अलगाववाद, अकेलेपन और मोक्ष का कारक ग्रह है शनि के साथ सभी के लिए नकारात्मक परिस्थितियां पैदा करने के योग निर्मित करता है।

 

 

ऐसे हुई विश्वव्यापी संकट की शुरुआत
उपाध्याय बताते हैं कि गुरु शनि और केतु दोनों के साथ पूर्णता दूषित अवस्था में आ चुका था और जैसे-जैसे वह दोनों के करीब आता गया और अधिक दूषित होता गया, यहीं से विश्वव्यापी संकटों की एक बड़ी शुरुआत हुई, सुख, समृद्धि और आर्थिक तरक्की का ग्रह गुरु दूषित होकर दुख दरिद्र और संकटों का कारण बनता गया, दरअसल गुम का दूषित होना ही नकारात्मक शक्तियों और संकटों को मनुष्य प्रजाति पर हावी करता गया। इसमें उन सब लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा जिनकी कुंडली में गुरु बहुत ही कमजोर अवस्था में था अथवा जिनके कार्य समाज विरोधी या संस्कारों के विरुद्ध थे।

 

इन ग्रहों का बन रहा योग
शनि के मकर राशि में प्रवेश के बाद से धनु राशि में सिर्फ गुरु और केतु की युति ही बाकी थी, अब गुरु के राशि परिवर्तन के बाद से शनि और गुरु पुनः मकर राशि में मिलेंगे परंतु यहां पर स्थिति भिन्न होगी, यहां शनि स्वयं बड़ी ही मजबूत स्थिति में है, क्योंकि स्वयं की राशि में है, इसलिए गुरु के नीच राशि में होने के बावजूद भी उसे समर्थन देकर के नीच भंग का कारण बनेगा, 4 मई तक मंगल भी इसी राशि में है जो उसकी उच्च की राशि है।

 

 

सुधार की बनने वाली है गुंजाइश
यह तीनों का योग और आगे भी सिर्फ शनि गुरु का योग निश्चित ही स्थितियों को अपने नियंत्रण में लेकर विश्वव्यापी संकट में सुधार लाने की परिस्थितियां बनाएंगे, हालांकि किसी भी प्रकार की नकारात्मक ग्रह परिस्थितियों के निर्मित होने के बाद उत्पन्न हुए संकट ग्रह परिस्थितियों के बदलने के तुरंत बाद ही समाप्त नहीं हो जाते, जहां शनि आम व्यक्ति का ग्रह है ठीक वही गुरु भी चिकित्सा पद्धति , अध्यात्म, प्राचीन शास्त्र, अध्ययन और गुरु शिष्य परंपरा का ग्रह है अतः इन दोनों की युति विश्व पर छाए संकट से राहत दिलाने का कार्य अवश्य करेगी।

 

राजनीति में उथल-पुथल
शनि गुरु की युति राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विपरीत राजनीतिक परिस्थितियों को भी जन्म देने का कार्य करेगी, इस समय में सत्ता पर काबिज लोग चाहे वह राष्ट्रीय नेता हो या अंतरराष्ट्रीय, दोनों ही डांवाडोल स्थिति में रहेंगे। गुरु की महादशा से गुजर रहे सभी लोग जो बहुत परेशानी महसूस कर रहे थे को राहत की सांस मिलेगी और बिगड़ते काम बनना प्रारंभ होंगे और आर्थिक पक्ष भी उत्तम होगा ।

 

नकारात्मक विचारों से बचें
पंकज उपाध्याय बताते हैं कि सभी राशियों के लोगो ने ऐसे समाय में गुरु को प्रबल करने के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रयास करने चाहिए, जैसे नित्य हवन, मेडिटेशन, गायत्री और महामृत्युंजय मंत्र के जप या अपने अपने गुरु मंत्र ताकि सामूहिक रूप से पैदा की गई आध्यात्मिक ऊर्जा से सबका कल्याण हो। विशेष कर ऐसे समय में नकारात्मक विचारधारा और वायरस के नाम को लेकर बार बार बातें नहीं की जानी चाहिए।

 

साफ-सफाई पर ध्यान दें
वास्तु शास्त्र के अनुसार भी उत्तर उत्तर-पूर्व, अर्थात उत्तर-पूर्व से उत्तर की तरफ वाला क्षेत्र हमें प्रतिरोधक क्षमता प्रदान कर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बचाता है, अतः अगर वहां पर टॉयलेट, डस्टबीन, शू रेक या कोई भारी समान हो तो उस जगह सब साफ-सुथरा रखें, हो सके तो वह सुंदर गमला स्थापित करें या या सूर्य देवता का चित्र स्थापित करे।

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