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भोपाल

सरकारी पैसे से पार्षदों ने चमकाई नेतागिरी, जनता के करोड़ों रुपए को कर दिया बर्बाद

– नगरीय निकायों के पैसे से पार्षदों ने दिया यूपीए सरकार के खिलाफ दिल्ली में धरना, निकाली रैली
– लोकल ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा

भोपालDec 24, 2019 / 10:37 am

Ashok gautam

सरकारी पैसे से पार्षदों ने चमकाई नेतागिरी

सरकारी पैसे से पार्षदों ने चमकाई नेतागिरी

भोपाल। नगरीय निकायों के पैसे से पार्षद अपनी नेतागिरी चमकाते हैं। सरकारी खजाने से पाषर्दों ने दिल्ली में केन्द्र में पूपीए की सरकार के खिलाफ धरना दिया और प्रदर्शन किया है। इसका खुलासा संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा की ऑडिट रिपोर्ट में किया गया है। ऑडिट की टीम में वर्ष 2008 से 2015 तक के निकायों के दस्तावेजों की जांच पड़ताल में पाया कि पार्षदों ने निकायों के पैसे का जमकर दुरूपयोग किया है। उन्होंने इस पैसे से रैलियां, धरना-प्रदर्शन सहित अन्य राजनैतिक कार्यक्रम किया है। इस मामले में निकाय के अधिकारी भी उनका साथ दिया है।

गड़बडिय़ां उजागर की गई हैं
ऑडिट में कई वित्तीय गड़बडिय़ां उजागर की गई हैं। कई ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें कैशबुक में प्रमाणक नम्बर नहीं पाए गए। जांच में यह देखा गया कि निकायों में दो तरह के कैशबुक का उपयोग किया गया है। खरीदी करने के बाद स्टाक रजिस्टर में उनकों नहीं चढ़ाया गया।

अधिकारी कर्मचारी भी पीछे नहीं हैं
हालांकि इस मामले में सीएमओ तथा अन्य अधिकारी कर्मचारी भी पीछे नहीं हैं। वे भी वाहनों और मोबाइल सहित अन्य सुविधाओं पर करोड़ों रुपए हर साल फूंकने में माहिर हैं। दरअसल, प्रदेश के अधिकांश निकायों के लेखा शाखा में वित्त और लेखा के जानकारों की बजाए संविदा अथवा 25 दिवसीय कार्मचारियों को पदस्थ किया जा रहा है।


मनमर्जी से बिल पास करा लेते हैं
पार्षद इन पर दबाव बनाकर मनमर्जी से बिल पास करा लेते हैं। पार्षदों के राजनीति पर खर्च की गई राशि की प्रशासकीय स्वीकृति भी नहीं ली जाती है। वहीं आला अफसर भी निकायों में मनमर्जी से सरकारी धन खर्च कर रहे हैं।


माननीयों के स्वागत में जमकर उड़ाए पैसे
ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े नेताओं के नगर आगमन की होर्डिंग लगाने में सरकारी खजाने से करोड़ों रूपए खर्च किए गए। जन्म दिन की बधाई, शुभकामनाएं और संदेश के विज्ञान, डिजाइन और प्रिंटिंग पर निकाय से करोड़ों रूपए खर्च किया गया। नेताओं के कटआउट और होर्डिंग निकाय के आउट सोर्स कर्मचारियों अथवा संविदा के कर्मचारियों से पूरे शहर में लगवाया गया। रिपोर्ट में यह बताया है कि इस तरह की गड़बडि़यां सभी नगर पालिका और नगर परिषद में सामने आई हैं।

पुरस्कार का वितरण
कई नगरीय निकायों में गणतंत्र दिवास पर कर्मचारियों को पुरस्कार दिया गया है। पुरस्कार में कर्मचारियों को महंगी घड़ी और सहित अन्य सामग्रियां दी गई हैं। इस कार्यक्रमों में बड़े नेताओं और पार्षद अध्यक्षों के स्वागत सत्कार के अलावा स्वल्पाहार पर भी लाखों रूपए खर्च किए गए हैं। इसके अलावा पिछले आठ-दस सालों में भूमि पूजन के दौरान स्वागत, सत्कार, टेंट-बाजे पर अनियमित भुगतान किया गया है।


कर्मचारियों और अधिकारियों पर भी मेहबानी

कई निकायों में अकुशल श्रमिकों को कुशल श्रमिकों का वेतन दिया गया। कई भुगतान बिना बिल और बिना नोटशीट के किया गया है। मूल रसीद नहीं देने पर सप्लायर से शपथ पत्र लेना था, लेकिन बिना शपथ पत्र के ही अजयगढ़ नगर परिषद ने लाखों रुपए का भुगतान कर दिया। रिपोर्ट में यह भी बात सामने आई है कि पौधरोपण के लिए रखे गए दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को बैठाकर एक वर्ष तक भुगतान किया गया। 62 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद भी हजारों कर्मचारियों को सेवानिवृत्त नहीं किया गया और उन्हें नियमित रूप से वेतन भुतगतान किया गया।

अध्यक्ष, पार्षद को यात्रा अनियमित भुगतान
अध्यक्षों के यात्रा पर अनियमित भुगतान किया गया है। उनके द्वारा शहर के बाहर कीगई भी यात्रा का बिल, वाहन के डीजल पर खर्च की राशि का भुगतान निकायों ने किया है। अध्यक्षों को लैंड लाइन की जगह पर मोबाइल दिया गया, उसके भारी भरी भरकम बिलों का भी भुगतान किया गया है। पार्षदों और एल्डरमेनों को प्रावधान से परे जाकर पारिश्रमिक का भुगतान किया गया। अध्यक्षों के घर पर आने वाले समाचार पत्रों और टीवी के रिचार्ज का भी बिल भुगतान किया गया।

 

पार्षद सरकारी पैसे से निजी और राजनीतिक कार्यक्रम नहीं सकते हैं। इसमें वसूली का प्रावधान है। नगरीय निकायों के नियम और शर्तों के विरुद्ध जिन पार्षदों और अधिकारियों ने राशि खर्च की है, उससे वसूला जाएगा।
संजय दुबे, प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग

संभाग —निकाय—- राशि
भोपाल —-04 —-3.8 करोड़
ग्वालियर —-01 —-4.9 करोड़
इंदौर —-01—- 1.6 करोड़
जबलपुर —-06 —-103 करोड़
उज्जैन —-02—- 12 लाख
रीवा—- 01—- 02 लाख
(भुगतान और गड़बड़ी रुपए में।)

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