सरलता की वजह से अपनायापूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान सरकारी विभागों में कंप्यूटर को कर्मचारियों से परिचित कराया गया था। सरकारी वेबसाइट बनाकर लोगों को ऑनलाइन सुविधा देने का प्रयोग शुरू हुआ था। आसानी से समझ आने वाला एवं उपयोग किया जा सकने वाला विंडो ऑपरेटिंग सिस्टम जानबूझकर कर्मचारी को सिखाया गया ताकि वह जल्दी और आसानी से इसे सीख लें। अब ये सिस्टम पुराना हो चुका है और इसे हैक किए जाने का खतरा भी बढ़ गया है।
किस तरह का डेटा हुआ लीक डार्क वेब पर लोगों के डेटा सैंपल का खुलासा हुआ है। हैकर्स ने जिस डेटा को उड़ाया है, उसमें रजिस्टर्ड ई-मेल, लोगों का पता और पासवर्ड शामिल हैं। इस डेटा में लोगों के रजिस्टर्ड फोन नंबर, ट्रांसमिटेड ओटीपी इन्फॉर्मेंशन, लॉगिन आईपी, व्यक्तिगत यूजर पासवर्ड और ब्राउजर फिंगरप्रिंट इन्फॉर्मेंशन शामिल है।
बचने के ये तरीके सुझाए गए रिपोर्ट में सरकारी अधिकारियों को इससे बचने के उपायों की जानकारी भी दी गई है।किसी भी तरह के अनजाने ईमेल या लिंक पर क्लिक करने से बचें।
सरकारी कर्मचारियों को काम करने के लिए हमेशा सुरक्षित नेटवर्क का ही उपयोग करने की सलाह दी गई है।सरकारी कंप्यूटर पर अंजान वेब पोर्टल अपलोड करने से हैकर्स को मौका मिलता है। जिस मोबाइल में सरकारी वेब एक्सेस है उस पर अंजान लिंक भेजकर हैकिंग हो जाती है।सरकारी सिस्टम से जुड़े हजारों कर्मियों के मोबाइल पर एक फोटो भेजकर भी ये हैकिंग हो जाती है।
वर्जन—— ऑपरेटिंग सिस्टम एक्सेस कर हैकर्स सरकारी वेबसाइट को निशाना बना रहे हैं। जांच में पता लगाया जा रहा है कि सिस्टम में एंट्री करने के लिए किस लिंक का इस्तेमाल किया गया।श्रुतकीर्ती सोमवंशी, डीसीपी, साइबर क्राइम