कलेक्टर-मंत्री से भी लगाई गुहार
भोपाल के कोलार इलाके की रहने वाली युवती प्रियंका ने बताया कि उनकी मां संतोष कोऑपरेटिव सेंट्रल बैंक की कोटरा सुल्तानाबाद शाखा में कार्यरत थीं। उनकी रिपोर्ट 14 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव आई थी और इसके कारण उन्हें प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्रियंका के मुताबिक मां संतोष का उन्होंने दो प्राइवेट अस्पतालों में बारी बारी से इलाज कराया लेकिन दोनों ही जगहों पर कुछ ही घंटों के 50-50 हजार रुपए वसूले गए और अच्छे से इलाज नहीं किया गया। मां के अच्छे इलाज के लिए प्रियंका मां को एंबुलेंस के जरिए दूसरे अस्पताल ले गई वो मां के इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर काटती रही लेकिन किसी भी अस्पताल में मां को भर्ती नहीं किया गया। प्रियंका ने बताया कि उन्होंने कहीं पर भी मां को एडमिट न किए जाने की शिकायत कलेक्टर से की और मदद की गुहार लगाई जिसके बाद कलेक्टर के कहने पर जेपी अस्पताल में मां को एडमिट किया गया।
जेपी अस्पताल में नहीं मिला इलाज- प्रियंका
प्रयिंका ने जेपी अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कलेक्टर के कहने पर अस्पताल में मां को भर्ती तो कर लिया गया लेकिन इलाज नहीं किया गया जिसकी शिकायत उसने मंत्री विश्वास सारंग से भी की थी लेकिन उसके बाद भी कुछ नहीं बदला और गुरुवार को मां की मौत हो गई। प्रियंका का आरोप है कि मां को मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने उनके शव को उसी हाल में छोड़ दिया न तो पीपीई किट पहनाई और न ही किसी अस्पताल के कर्मचारी ने उनके शव को मर्चुरी तक ले जाने में मदद की। डॉक्टरों ने मां की मौत के बाद उनसे कहा कि आप शव को ले जाएं जिसके बाद वो खुद अपने चाचा के साथ मिलकर मां के शव को आईसीयू वार्ड से मर्चुरी तक लेकर पहुंची। प्रियंका ने ऑक्सीजन सप्लाई में दिक्कत होने की बात बताई है।बता दें कि इससे पहले भी भोपाल शहर में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में लापरवाही के मामले सामने आ चुके हैं। शहर में बनाए गए कोविड सेंटर्स में अव्यवस्थाओं को लेकर मरीजों के हंगामे की खबरें भी लगातार सामने आती रही है।