डिया के नियमों का उल्लंघन भी हो रहा है। लेकिन इसे देखने और सुनने वाला कोई नहीं है। खुद खनिज विभाग भी इन खदानों में झांकने की जहमत नहीं उठाते। इस बात की भनक खनिज विभाग को भी है, लेकिन वे खुद इससे अनजान बने हुए हैं।
राजधानी के आसपास कुल 180 खदानों से काली गिट्टी, पत्थर, बोल्डर, मुरम और कोपरा निकाला जाता है। इनमें से करीब 90 खदानों से गिट्टी निकाली जा रही है। इन खदान संचालकों ने काला पत्थर निकलने तक की अनुमति ले रखी है, जिससे क्रेशर संचालक रोजाना पांच से दस डंपर तक गिट्टी निकाल रहे हैं। ऐसे में यह खदानें गहरी होती जा रही हैं। इधर इन खदानों की जांच नहीं होने की वजह से काली गिट्टी का अवैध परिवहन शहर में जमकर चल रहा है।
रॉयल्टी चोरी में 63 लाख का जुर्माना वसूला
खनिज विभाग ने रॉयल्टी चोरी में पिछले 11 माह में 63 लाख रुपए वसूले हैं। इसमें सिर्फ अवैध परिवहन से 60 लाख, अवैध उत्खनन से एक लाख तीस हजार और भंडारण से २ लाख 40 हजार रुपए जुर्माना वसूला है। इससे इतना तो साफ होता है कि राजधानी में गिट्टी में चोरी सबसे ज्यादा हो रही है। क्योंकि रेत की जांच के अधिकारी खनिज विभाग से छिन चुके हैं। मुरम और कोपरा में रॉयल्टी कम मिलती है। सिर्फ गिट्टी का कारोबार जोरों पर हैं।
खनिज विभाग ने रॉयल्टी चोरी में पिछले 11 माह में 63 लाख रुपए वसूले हैं। इसमें सिर्फ अवैध परिवहन से 60 लाख, अवैध उत्खनन से एक लाख तीस हजार और भंडारण से २ लाख 40 हजार रुपए जुर्माना वसूला है। इससे इतना तो साफ होता है कि राजधानी में गिट्टी में चोरी सबसे ज्यादा हो रही है। क्योंकि रेत की जांच के अधिकारी खनिज विभाग से छिन चुके हैं। मुरम और कोपरा में रॉयल्टी कम मिलती है। सिर्फ गिट्टी का कारोबार जोरों पर हैं।
खदान संचालकों को अनुमति दी जाती है। अगर कोई नियमों का उल्लंघन कर रहा है तो उसे दिखवाते हैं। रॉयल्टी के जुर्माने में 63 लाख की वसूली की गई है।
– राजेंद्र सिंह परमार, जिला खनिज अधिकार
– राजेंद्र सिंह परमार, जिला खनिज अधिकार