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भोपाल

केन्द्र बढ़ाने की आपाधापी में डिफाल्टर समितियों को भी बनाया खरीदी केन्द्र

– आर्थिक तंगी से जूझ रही सहकारी समितियों को कम्प्यूटर, प्रिंटर खरीदने के निर्देश, गांवों में कम्प्यूटर आपरेटर रखने में समितियों को आ रहा पसीना- समितियों की चिंता मनरेगा के मजदूरों से कैसे कराएंगे काम

भोपालApr 13, 2020 / 09:00 pm

Ashok gautam

केन्द्र बढ़ाने की आपाधापी में डिफाल्टर समितियों को भी बनाया खरीदी केन्द्र

केन्द्र बढ़ाने की आपाधापी में डिफाल्टर समितियों को भी बनाया खरीदी केन्द्र

भोपाल। खरीदी केन्द्र बढ़ाने की आपाधापी में कलेक्टरों ने 11 सौ डिफाल्टर समितियों को भी खरीदी केन्द्र बना दिया है। इन समितियों ने पहले किसी ने किसी तरह की गड़बडिय़ां की थीं, जिससे इन्हें खरीदी केन्द्रों की काली सूची में डाल दिया गया था। वहीं खाद्य विभाग ने बिना राशि दिए समितियों को कम्प्यूटर, पिं्रटर सहित सभी संसाधन जुटाने के लिए केन्द्रों को कहा गया है, इससे उनकी हालत खराब हो रही है। पिछले कई वर्षों से आर्थिक तंगी से जूझ रही समितियों को यह खरीदना भारी पड़ रहा है। इसके अलावा बाजार भी नहीं खुली हैं, जहां से वे कंम्प्यूटर सहित अन्य उपकरण खरीद सकें। प्रदेश के 4358 खरीदी केन्द्रों पर अनाज की खरीदी 15 अप्रैल से शुरू की जाएगी।
समितियों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत मजदूरों की है। उन्हें जिला प्रशासन ने मनरेगा के मजदूर उपलब्ध कराने के लिए कहा है। मनरेगा के मजदूरों से खरीदी और अनाज की बोरी वाहनों में लोड-अनलोड कराने में समितियों को संदेह हो रहा है। समितियों का तर्क है कि ये मजदूर प्रोफेसनल नहीं होते हैं, इनसे खरीदी का काम करना मुश्किल हो जाएगा। दूसरी तरफ यह भी बड़ी बात है कि मनरेगा में जितने मजदूर पंजीकृत हैं उसमें सभी काम करने जाते भी है या नहीं।
सोशल डिस्टेंसिंग बड़ा प्रश्न
सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि समितियों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने में समितियों को दिक्कत आएगी। क्योंकि सामान्य तोर पर गेहूं की तुलाई और बोरे उठाने में कम से कम दो से तीन मजदूरों की जरूरत होती है। इसके अलावा तुलाई करने वाला वहां मौजूद रहेगा, अगर सभी के बीच में तीन-तीन मीटर की दूरी होगी तो ये काम कैसे हो पाएगा। इसके साथ ही कम्प्यूटर आपरेटर, कर्मचारियों के बीच में अगर तीन मीटर की दूरी होगी तो केन्द्र में जगह कहां से मिलेगी। लॉक डाउन होने से चूना, धागा और अन्य सामन की कैसे व्यवस्था हो पाएगी।


नहीं हुई क्वालिटी कंट्रोल की ट्रेनिंग
हर खरीदी केन्द्रों पर अनाज की क्वालिटी चेक करने के एक एक क्वालिटी कंट्रोलर होते हैं। क्वालिटी कंट्रोलरों को अभी तक ट्रेनिंग नहीं दी गई है। खरीदी करने में दो दिन और शेष हैं, इस बीच में उन्हें ट्रेनिंग देना भी मुश्किल है। अगर खरीदे गए अनाज की क्वालिटी में गड़बड़ी पाई गई तो यह भी समितियों के मत्थे आएगा। वहीं किसानों से अनाज खरीदी के लिए दस से बारह किसानों को उनके मोबाइल पर एमएमएस कर दिया गया है।
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