scriptपरिजन खुद अपनों को बना देते है लावारिस, दूसरों के भरोसे पर रहते हैं जिंदा | destitutes are left here at the last moment | Patrika News
भोपाल

परिजन खुद अपनों को बना देते है लावारिस, दूसरों के भरोसे पर रहते हैं जिंदा

परिजन खुद लावारिस बना देते हैं।

भोपालDec 17, 2019 / 11:25 am

praveen shrivastava

गंभीर मरीजों को एम्स से कर रहे रैफर, हमीदिया में पहले से लगी लंबी कतार

गंभीर मरीजों को एम्स से कर रहे रैफर, हमीदिया में पहले से लगी लंबी कतार

भोपाल। हमीदिया अस्पताल में हर दूसरे दिए एक मरीज ऐसा पहुंचता है, जिसे परिजन खुद लावारिस बना देते हैं। इनमें से कई मरीजों की मौत हो जाती है तो कई दूसरों के रहमोकरम के भरोसे जिंदा रहते हैं।


उडी़सा की रहने वाली महिला दो महीने से अस्पताल में भर्ती है। ट्रेन एक्सिडेंट में महिला का पैर कट गया था। ऑपरेशन के बाद महिला पूरी तरह स्वस्थ है, लेकिन कोई परिजन उसे लेने नहीं आ रहे । लिहाजा इसे अस्पताल में भी रखा गया है। इसी तरह लोहा बाजार के रहने वाले एक वृद्ध को एक महीने पहले उनका बेटा भर्ती करा गया था, लेकिन इसके बाद लौट कर नहीं आया। अस्पताल प्रबंधन ने फार्म में लिखे पर संपर्क किया तो गलत निकला।

अस्पताल के सोशल वर्कर करते हैं सेवा
ऐसे मरीजों के लिए अस्पताल में सोशल वर्कर मौजूद हैं। सोशल वर्कर डीएस अग्निहोत्री और सुनिता दुबे बताते हैं कि लावारिश मरीजों की देखभाल करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि उनके पास कोई नहीे। ऐसे में 24 घंटे उनका ख्याल रखना पड़ता है। सुनीता दुबे बताती हैं कि कई मरीज खाने में अंडा या नॉनवेज मांगते हैं। अस्पताल यह उपलब्ध नहीं है तो कई बार हमें अपने पैसों से इंतजाम करना पड़ता है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो