मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल गांधी मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी एंड मेडिसिन विभाग के एक रिसर्च में सामने आया था कि कंपनियां बोतल या बर्तनों पर इसके जानलेवा असर के आधार पर ग्रेड भी डालती है, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग नंबरों पर ध्यान नहीं देते और किसी भी बोतल का उपयोग कर लेते हैं। शोधकर्ता डॉ. प्रियंका चारी के मुताबिक बोतल पर अगर एक या तीन, छह या सात गे्रड हो तो इनका उपयोग नहीं करें, ये जानलेवा हो सकते हैं।
वहीं दो, चार, पांच ग्रेड सुरक्षित माना जाता है। डॉ.डीके पाल के मुताबिक प्लास्टिक में पाए जाने वाले रसायन सेहत के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक होते हैं। इससे एंडोक्राइनल डिसीज जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, पॉलिसिस्टिक ओवरी के साथ कैंसर और हार्ट की बीमारी तक हो सकती हैं।
माइक्रोवेव कंटेनर भी जानलेवा, चटख रंग हो तो हो जाएं सावधान
डॉ. चारी के मुताबिक सिर्फ पीने के पानी की बोतल ही नहीं माइक्रोवेव में उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक कंटेनर ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं। अगर यह हार्मफुल ग्रेड के हैं तो गर्म होने पर ज्यादा नुकसानदायक हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हमेशा उच्च स्तर के बर्तनों का उपयोग किया जाए। बाजार में बिकने वाले सस्ती पानी की बोतल, बच्चों के टिफिन , बर्तन का उपयोग नहीं करना चाहिए।
इसके साथ ही तेज चटख रंग वाले बर्तनों का उपयोग तो बिल्कुल नहीं करना चाहिए। कैमिकल के प्रभाव से ही प्लास्टिक रंगीन होता है। एेसे में जितना ज्यादा रंग होगा उतना खतरनाक।
रखेंगे ये सावधानी, तो बचेंगे रोगों से
हमेशा बोतल, प्लास्टिक बर्तन खरीदने से पहले ग्रेड जरूर देखें। गर्म पेय पदार्थ के लिए प्लास्टिक के ग्लास या बर्तन का उपयोग नहीं करें। कार में ज्यादा दिन से रखे बोतल के पानी का उपयोग न करें। प्लास्टिक बोतल में रखी दवाओं को रूम टेंप्रेचर पर रखें। माइक्रोवेव के लिए हमेशा ग्रेड पांच के कंटेनर ही उपयोग करें। जहां तक हो प्लास्टिक के बर्तनों में खाने-पीने से बचें। ठेलों पर बिकने वाले सस्ते प्लास्टिक के सामान न खरीदें।