चुनाव आयोग की मंजूरी के बाद मध्यप्रदेश के वित्त विभाग ने तैयारियों तेज कर दी है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले पेंशनर्स को इसका लाभ मिलने लगेगा।
लगातार हो रही देरी के कारण पेंशनर्स में सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ने लगा था। इससे माना जाने लगा था कि मध्यप्रदेश में पौने पांच लाख पेंशनर्स नाराज हो गए तो वे किसी भी प्रत्याशी को मुश्किल में डाल सकते हैं। लेकिन इसके पहले ही चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
छत्तीसगढ़ के कारण लटका था मुद्दा
दरअसल, छ्त्तीसगढ़ सरकार से अनुमति मिलने के बाद मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेजकर इसकी मंजूरी मांगी थी। आयोग ने मंजूरी देने की बजाय इसे लेकर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से राय ली थी। इसके जवाब में मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की ओर से चुनाव आयोग को पत्र लिखा गया था। इसमें स्पष्ट कर दिया गया था कि डीए देना एक नियमित प्रोसेस है, जो रुकना नहीं चाहिए। इसके बाद माना जा रहा था कि चुनाव आयोग सरकार को जल्द ही इसकी अनुमति दे सकता है। चुनाव आयोग ने गुरुवार को इस प्रस्ताव पर हरी झंडी दे दी।
पिछली सरकार में नहीं बढ़ी पेंशन
पिछले माह ही मध्यप्रदेश के लाखों पेंशनर्स के एसोसिएशन ने सरकार पर भेदभाव के आरोप लगाए थे। एसोसिएशन ने पिछले साल तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर पेंशनर्स पंचायत में उनसे मुलाकात की थी। शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि पेंशन बढ़ाई जाएगी। लेकिन वित्त विभाग ने खजाना खाली होने का हवाला देते हुए इसे लटका दिया था। इसके बाद एसोसिएशन ने कांग्रेस का साथ दिया। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में भी इसका जिक्र किया। सरकार बनने के बाद पेंशनर्स को उम्मीद थी कि डीए के साथ 7वें वेतनमान के एरियर्स को लेकर भी सरकार कोई फैसला करेगी, लेकिन कोई फैसला अब तक नहीं हुआ है।
पेंशनर्स ने दी थी चेतावनी
इसके बाद पेंशनर्स ने सरकार को चेतावनी तक दे दी कि जो पेंशनर्स के साथ नहीं, वो हमारे साथ भी नहीं। इसी के बाद राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार को जल्द से जल्द सहमति देने का पत्र लिख दिया। क्योंकि छत्तीसगढ़ अपने यहां पहले से ही महंगाई भत्ता लागू कर चुका है।
चुनाव में मिल सकता है फायदा
चुनाव आयोग के मंजूरी देने के बाद न सिर्फ पेंशनर्स को बल्कि कांग्रेस की राज्य सरकार को भी राहत मिल गई है। मध्यप्रदेश के वित्त विभाग ने भी बगैर देरी किए इस पर काम तेज कर दिया है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पेंशनर्स को खुश करने के लिए कांग्रेस की राज्य सरकार इसका लाभ इसी माह से दे सकती है। कांग्रेस का भी यह दांव था कि कहीं न कहीं वोट बैंक को बढ़ाने में इसे मंजूरी दिलवा दी जाए।