हमीदिया अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आरएस मीणा बताते हैं कि दिल को धड़कने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती। यह ऊर्जा दिल के आसपास बुने तारों में मौजूद इलेक्ट्रॉड से मिलती है, जिसे सामान्य भाषा में करंट भी कहा जा सकता है। इन चारों मरीजों को धड़कन असामान्य होने की दिक्कत थी। हमने सुबह 11 बजे से 5 शाम पांच बजे तक सभी मरीजों का ऑपरेशन किया। सभी मरीज ठीक हैं, एक दो दिन में डिस्चार्ज भी कर दिया जाएगा। सामान्य व्यक्ति का दिल एक मिनट में 60-100 बार धड़कता है,यह बीमारी होने के बाद हार्ट बीट 180-250 प्रति मिनट तक पहुंच जाती है। समय पर इलाज न मिले तो कई बार मरीज की मौत भी हो सकती है। ऑपरेशन को प्रो. बीएस यादव, प्रो. राजीव गुप्ता, प्रो. अजय शर्मा, डॉ. आरके सिंह के साथ उनकी टीम ने किया।
ऐसे किया जाता है इलाज
इस बीमारी के इलाज में इलेक्ट्रो फिजियोलॉजी स्टडी एंड रेडियो फ्रिक्वेंसी एब्लेशन विधि से उपचार किया जाता है। इसमें पैर के रास्ते से तीन तार दिल तक पहुंचाए जाते हैं। इसके बाद दिल के अंदर हुए शॉर्ट सर्किट का पता लगाया जाता है। पता चलने पर फि र चौथा तार दिल तक पहुंचाया जाता है और इलेक्ट्रोड के जरिए उस भाग को जला दिया जाता है, जिसके जरिए शॉर्ट सर्किट हुआ।
यह हैं लक्षण
अचानक सांस फूलना, चक्कर आना, तेज पसीना आना, सीने में दर्द और घबराहट इस बीमारी के लक्षण हैं। अक्सर मरीज इसे हार्ट अटैक समझ लेता है लेकिन जांच में सबकुछ सामान्य होता है। बार बार ऐसा होने पर इलेक्ट्रो फिजियोलॉजिकल टेस्ट कराना चाहिए।