हरदा जिले की खिरकिया तहसील में किसान चने का भुगतान नहीं मिलने को लेकर प्रदर्शन करने के लिए एकत्र हुए थे, तभी एक किसान ने अपने पास से जहर निकालकर पी लिया। उसकी हालत तुरंत बिगड़ गई, उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस घटना का वीडियो भी वायरल हुआ है। जिन किसानों ने जहर पिया है उनके नाम सूरज पिता भागीरथ पंवार 30 नीमगांव, संदीप पिता कैलाशचंद्र बाबल 25 धनगांव और परमानंद पिता हुकमचंद 35 सारंगपुर हैं।
जिला सहकारी बैंक की खिरकिया शाखा से संबद्ध सहकारी समिति चौकड़ी में समर्थन मूल्य पर चना बेचने वाले एक किसान ने गुरुवार सुबह गांव में स्थित समिति कार्यालय के बाहर जहर खाकर जान देने की कोशिश की। इससे तीन दिन पहले किसानों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर चेतावनी दी थी कि 72 घंटे में चने का भुगतान नहीं मिला तो वे फंदा लगाकर जान दे देंगे।
ऐसे पिया जहर, देखें वीडियो
दो दिन में स्थिति नहीं बदली तो गुरुवार सुबह किसान छोटू उर्फ सूरज विश्नोई निवासी नीमगांव अपने साथियों को लेकर समिति कार्यालय पहुंच गया। वे यहां फंदा लगाने के लिए खुंटे गाड़ने की तैयारी में थे। मौके पर पुलिस बल भी पहुंच गया था। इसी दौरान किसानों ने प्रशासन और सहकारिता विभाग के सहायक आयुक्त अखिलेश चौहान का नाम लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ देर में सूरज ने एक शीशी निकाली और गटक ली। यह देखते ही वहां हड़कंप मच गया। जहर गटकने वाला किसान मौके से भागा तो अन्य लोग और पुलिस भी उसके पीछे गई। सूरज को तत्काल जिला मुख्यालय के एक निजी नर्सिंग होम लाया गया। जहां उसका इलाज शुरू हो गया है।
एएसपी गजेंद्र सिंह वर्धमान ने कहा कि दो दिन पहले जिन किसानों ने चेतावनी दी थी उनमें से एक सूरज ने शीशी निकालकर गटक ली। उसे इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जबकि कलेक्टर संजय गुप्ता फोन पर उपलब्ध नहीं हो पाए।
इन्होंने दिया था ज्ञापन
ज्ञात हो कि 21 सितंबर को कलेक्टर के नाम दिए ज्ञापन में सूरज पिता भागीरथ विश्नोई, संदीप पिता कैलाश, प्रकाश पिता खेमाजी विश्नोई, प्रेमशंकर पिता रामभरोस सारन, गोपाल पिता छुट्टु सिंह, परमानंद पिता हुकुमचंद, शशिकांत हरणे आदि ने बताया था कि उन्होंने सहकारी समिति को महीनों पहले चना बेचा था। इसका भुगतान अब तक नहीं हो सका। समिति में खरीदी संबंधी गड़बड़ी उजागर होने के बाद जांच शुरू हुई थी। इस बीच किसानों के भुगतान की बात पर हमेशा यही कहा गया कि यह जल्द ही होगा, लेकिन लंबा समय बीतने के बाद भी इस दिशा में कार्रवाई नहीं हुई। किसानों का कहना रहा कि सहकारिता विभाग के अधिकारी जांच के नाम पर गुमराह कर रहे हैं।
समिति प्रबंधक के खिलाफ प्रकरण
समिति प्रबंधक दिनेश बघेल के खिलाफ पुलिस ने प्रकरण तो दर्ज किया, लेकिन गिरफ्तारी अब तक नहीं हो सकी है। इसके उलट जांच के नाम पर पुलिस द्वारा किसानों को मानसिक प्रताडि़त किया जा रहा है। किसानों ने सवाल खड़ा किया कि समिति द्वारा जब खरीदी में गड़बड़ी की जा रही थी तब सहकारिता विभाग के अधिकारी कहां थे। इससे स्पष्ट होता है कि उन्ही की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ है। किसानों ने भुगतान जल्द कराने की मांग करते हुए चेतावनी दी थी कि ऐसा न होने पर वे 24 सितंबर को समिति के कार्यालय के सामने सामूहिक रूप से फंदा लगाकर जान दे देंगे।