एनएचएआई ने की पड़ताल तब हुआ खुलासा
आईआईटी इंदौर के सिविल डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. नीलम सत्यम की जांच रिपोर्ट में दाता कॉलोनी, सिंगारचोली और गांधीनगर फ्लाईओवर की पोल खुलने के बाद निर्माणाधीन फ्लाईओवर की जांच की गई। इसके बाद एनएचएआई ने पड़ताल की, जिसमें दोनों साइट पर निर्माण स्वीकृत ड्रॉइंग और डिजाइन के मुताबिक नहीं मिला। इधर, दाता कॉलोनी की साइट पर घटिया निर्माण तोडऩे का काम जारी है। सीडीएस को इसे तोडकऱ दोबारा बनाना है।
एक-दूसरे पर आरोप
समीक्षा बैठक में ठेका कंपनी के बलकार सिंह ने दाता कॉलोनी रि-डवलपमेंट में अतिरिक्त 4 करोड़ खर्च होने की जानकारी दी। इस दौरान गड़बड़ी की जिम्मेदारी को लेकर सिंह और प्रोजेक्ट डायरेक्टर एमएल पुरबिया ने एक-दूसरे को दोषी ठहराते रहे।
पेटी कॉन्ट्रेक्टर के हवाले था पूरा प्रोजेक्ट
एनएचएआई की अंदरूनी पड़ताल में ये बात सामने आई है कि 221 करोड़ का टेंडर लेने के कुछ दिन बाद ही दिल्ली की कंपनी सीडीएस इंफ्रा ने काम टुकड़ों में लोकल ठेकेदारों के हवाले कर दिया था। जबकि टेंडर शर्तों में साफ लिखा था कि पर्याप्त मशीनरी, मैन पावर, अनुभव और सिक्योरिटी केपीटल होने पर ही उपयुक्त कंपनी को ठेका मिलेगा। इस पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी प्रोजेक्ट डायरेक्टर एमएल पुरबिया और इंजीनियर एनएचएआई विनाक्षी दहत ने केवल बैठकें लेकर और कागज देखकर करते रहे।
इनका कहना
दाता कॉलोनी फ्लाईओवर दोबारा बनाने का काम जारी है। बाकी सभी कंस्ट्रक्शन अभी रुकवा दिए हैं। इस मामले में दोषी एनएचएआई के इंजीनियर, कंसल्टेंट फीडबैक इंफ्रा और ठेका कंपनी सीडीएस इंफ्रा पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। – विवेक जायसवाल, हेड, एनएचएआई