इस तरह समझें कैसे चलती है शिकायत
जहांगीराबाद निवासी विशाल जाघबव ने जोन 11 के वार्ड 41 में एक अवैध निर्माण को लेकर शिकायत 9043563 दर्ज कराई। फरवरी 2020 में दर्ज कराई शिकायत के तहत भवन स्वामी को धारा 302 एक के तहत नोटिस दिया गया। एक सप्ताह में इसका जवाब मांगा, लेकिन नौ माह बाद भी निर्माण तक नहीं रोका गया। फरवरी के बाद जुलाई 2020 में भवन पर धारा 307 के तहत नोटिस दिया। निर्माण जनवरी 2020 में शुरू हुआ था ये नवंबर पूरी तरह तैयार हो गया है। जल्द ही इसका उपयोग भी शुरू हो जाएगा।
मॉनीटरिंग का जरिया, फिर भी चूक
नगर निगम के पूर्व अपर आयुक्त वीकेचतुर्वेदी का कहना है कि जनता की शिकायतों के निपटान को प्राथमिकता से लेना चाहिए। नगर निगम में ये एक मॉनीटरिंग का नया जरिया बन सकता है। उच्चस्तर पर तो इनके पूरे निपटान के निर्देश होते हैं, लेकिन सिर्फ निर्देश से कुछ नहीं होगा, निपटान होने पर उच्चाधिकारियों को फॉलोअप लेना चाहिए। निगम स्तर पर ये कम ही दिख रहा है।
मिलीभगत के लग चुके हैं कई बार आरोप
शिकायतों के निपटान में सफाई और अतिक्रमण, स्ट्रीट लाइट से जुड़ी अधिक हैं। मामूली शिकायतों जैसे कचरा, सफाई का निपटारा कर दिया जाता है। कहीं स्ट्रीट लाइट बंद होती है तो उसे शुरू करा दिया जाता है। लेकिन बड़े मामलों में देरी की जाती है। ये भवन अनुज्ञा, पक्का कब्जा, विभागीय गड़बड़ी, हाउस फॉर ऑल, जलकार्य, सामान्य प्रशासन विभाग, राजस्व, उद्यान से जुड़ी शिकायतें ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है। ये 20 फीसदी भी निपटान नहीं होती। वजह स्पष्ट है, यहां बड़ी गड़बड़ी और मिलीभगत बताई जाती है।
हर सप्ताह समीक्षा
निगम आयुक्त कैवीएस चौधरी की माने तो शिकायतों के निपटान के लिए लगातार काम कर रहे हैं। सभी स्तरों पर इसके लिए कहा गया है। हर सप्ताह इनकी समीक्षा होती है और कार्रवाई भी नजर आ रही है। कहीं कोई दिक्कत हो रही है तो उसे दिखवा लिया जाएगा।