छात्राओं का आरोप था कि होटल का आरओ ख़राब होने और पानी की समस्या के चलते उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं उनका यह भी कहना था कि कई बार इस बारे में शिकायत किए जाने के बावजूद जिम्मेदारों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। जिसके कारण यहां बीमारी फैलने का डर बना हुआ है।
पहले भी हॉस्टल प्रबंधन पर लग चुके हैं आरोप:
वहीं इससे पहले भी हॉस्टल प्रबंधन पर कई आरोप लग चुके हैं। पिछले दिनों ही बीयू के निवेदिता गल्र्स हॉस्टल में रात के करीब 10.30 बजे एक छात्रा की अचानक तबियत खराब हो गई।
लेकिन हॉस्टल प्रबंधन की लापरवाही के कारण उसे समय पर सहायता नहीं मिल सकी। इस दौरान साथी छात्राओं की सूझ-बूझ से छात्रा ज्योति बालापुरे को विवि के नजदीक स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
छात्राओं की इस बात को लेकर आपत्ति रही कि उन्हें विश्वविद्यालय प्रशासन समय पर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करा सका। समय पर एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं होने के कारण छात्राएं 108 की मदद से उसे अस्पताल लेकर गई। छात्राओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि वार्डन को सूचना दी तो उसने नजर अंदाज कर दिया।
वहीं हॉस्टल की मैट्रिन ने भी ध्यान नहीं दिया। एक छात्रा ने नाम नही लिखने की शर्त पर बताया कि उन्हें प्रशासन से समय पर कभी भी सहायता नही मिलती है।
छात्राओं ने बताया कि विवि प्रशासन की ऒर से देर रात 12 बजे तक किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली है। वहीं इस मामले में चीफ वार्डन डॉ. आयशा रईश का कहना था कि छात्रा की तबियत बिगड़ने की जानकारी मिली है उसे सहायता उपलब्ध करा दी गई है।
छात्राएं गलत बोल रही हैं, हमने ही 108 को काल करके बुलाया है। बीयू की एम्बुलेंस हॉस्टल आने में देरी हो जाती है, ड्राईवर नहीं मिलता इसलिए 108 को बुलाया गया। छात्रा की पूरी देख रेख की जायेगी।
उधर, बीयू की वाहन शाखा के प्रभारी वेदव्रत सिंह का कहना है की वार्डन झूंठ बोल रहीं हैं, उन्होंने कभी एम्बुलेंस को बुलाया ही नही होगा। विवि में तीन ड्राईवर मौजूद रहते हैं। फोन आने पर तत्काल सहायता दी जाती है।