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भोपाल

कोयले की कीमत चुकाने नहीं सरकार के पास पैसा

– लॉकडाउन का असर: खराब हुए आर्थिक हालात- बिजली से मिलते थे 2600 करोड़, पर आए सिर्फ 700 करोड़

भोपालJul 02, 2020 / 12:48 am

anil chaudhary

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जितेन्द्र चौरसिया, भोपाल. तंगहाल खजाने वाले मध्यप्रदेश की हालात कोरोना लॉकडाउन ने और खराब कर दी है। प्रदेश के पावर प्लांटों में कोयला पहुंचाने के लिए सरकार के पास पैसा नहीं बचा है। दरअसल, सरकार को बिजली से हर महीने 2600 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व मिलता था, लेकिन लॉकडाउन के बाद सिर्फ 700 करोड़ रुपए मिले हैं। इससे एनटीपीसी को कोयले का भुगतान करने में दिक्कत आ रही है। ऐसे में सरकार राजस्व बढ़ाने के साथ कर्ज लेने की तैयारी में है।
प्रदेश के थर्मल पावर प्लांटों में औसत 15 दिन के कोयले का स्टॉक अनिवार्य रहता है। बिजली पैदा करने के लिए इन थर्मल पावर प्लांट में कोयले की आपूर्ति बेहद जरूरी है। प्रदेश में कोयले की कीमत चुकाने के लिए सरकार को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कोयले के करीब 800 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना है। मार्च में लॉकडाउन लगा था, जिसके बाद अप्रेल और मई व जून पूरी तरह राजस्व वसूली ठप रही। ऐसे में सरकार ने कोयले की आपूर्ति का भुगतान भी नहीं किया। हालांकि, अभी पावर प्लांट पर स्टॉक है।
– क्षमता से आधा उत्पादन
वर्तमान में थर्मल पावर प्लांट उत्पादन क्षमता से आधा ही उत्पादन कर रहे हैं। हालांकि, इसके पीछे कोयले की कमी की बजाए स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से डिमांड लेटर में ही कम उत्पादन मिलना है।
– राजस्व बढ़ाने फिलहाल तीन रास्ते
आर्थिक संकट से जूझ रही बिजली कंपनियों के पास आर्थिक हालात सुधारने के लिए फिलहाल तीन रास्ते हैं। पहला रास्ता राजस्व वसूली बढ़ाना है। इसके तहत बिजली कंपनियों ने अब फील्ड में मीटर रीडिंग वापस शुरू कर दी है। दूसरा, नियामक आयोग से बिजली कंपनियों दर वृद्धि की गुहार की है। इसके तहत बिजली के दाम बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके अलावा सरकार के स्तर पर तीसरा रास्ता खुले बाजार से कर्ज लेना है। अगले महीने सरकार 1000 करोड़ तक का कर्ज बिजली के लिए ले सकती है।

– बदलेगा कोयले की मॉनिटरिंग का टेंडरिंग सिस्टम
सरकार कोयले की आपूर्ति व परिवहन की मॉनिटरिंग के लिए होने वाली टेंडरिंग की व्यवस्था में बदलाव करेगी। इसमें किसी भी एक प्लांट पर एक ही प्राइवेट फर्म को ठेका दिया जाएगा। अभी तक अलग-अलग कंपनियों को ठेका दिया जाता था।

लॉकडाउन में राजस्व वसूली बंद रहने के कारण आर्थिक दिक्कतें हुई हैं, लेकिन इसके लिए इंतजाम किए जा रहे हैं। कोयला आपूर्ति की स्थिति भी नियंत्रण में हैं।
– संजय दुबे, पीएस, ऊर्जा

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