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कांग्रेस अर्जुन को हटाकर सिंधिया को बनाना चाहती थी सीएम, फिर ..

अतीत का झरोखा: कांगे्रस अर्जुन को हटाकर सिंधिया को बनाना चाहती थी सीएम, फिर वोरा को बनाया

भोपालSep 05, 2018 / 07:36 am

Rohit verma

congress

आलाकमान ने विधायकों के दबाव में बदला फैसला

भोपाल. देश में व्यवस्था भले ही लोकतंत्र की हो, लेकिन प्रदेश की राजनीति की कहानी कुछ और ही कहती है। प्रदेश में कई बार दबाव की राजनीति ने तय फैसले बदलवा दिए। प्रदेश में ऐसा चार बार हुआ, जब हालात ने अचानक किसी और माथे पर राजयोग लिख दिया। एक बार माधवराव सिंधिया की जगह मोतीलाल वोरा का राजतिलक हुआ तो कभी शिवभानु सिंह सोलंकी की जगह अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री बन गए।

अर्जुन को हटाकर सिंधिया को कमान सौंपना तय

राजनीतिक विश्लेषक शिवअनुराग पटैरिया के मुताबिक बात दिसंबर 1988 की है। दिल्ली ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को हटाकर माधवराव सिंधिया को कमान सौंपना तय कर दिया था। माखनलाल फोतेदार, बूटा सिंह और गुलाम नबी आजाद को केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाकर भोपाल भेजा गया। सीएम हाउस में विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय पर्यवेक्षक मौजूद थे।

वोरा जनवरी 1989 में मुख्यमंत्री बने

कांग्रेस के अर्जुन सिंह समर्थक विधायक हरवंश सिंह के बंगले पर इक_े हुए थे। विधायक दल की बैठक से बाहर निकले केंद्रीय पर्यवेक्षकों से जब सवाल पूछा गया कि कौन बना मुख्यमंत्री तो उन्होंने कहा दुर्ग में मोती। खबर बाहर निकली तो पता चला कि हाईकमान को विधायकों के दबाव में अपना फैसला बदलना पड़ा। विधायकों में विद्रोह की स्थिति थी। इस तरह मोतीलाल वोरा जनवरी 1989 में मुख्यमंत्री बने।

शिवभानु के लिए कुर्सी, बैठ गए अर्जुन
पटैरिया के मुताबिक 1980 में अर्जुन सिंह, शिवभानु सिंह सोलंकी और कमलनाथ सीएम पद के उम्मीदवार थे। वोटिंग हुई तो सबसे ज्यादा वोट सोलंकी को मिले। उनके बाद अर्जुन सिंह और तीसरे नंबर कमलनाथ रहे। तब ये चर्चा थी कि अर्जुन ने पहले ही मेनका गांधी की मां अमिता आनंद को मैनेज कर लिया था।

हाईकमान के फैसले के मुताबिक कमलनाथ ने अपना समर्थन उनको दे दिया, जिससे शिवभानु सिंह पिछड़ गए और अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री बन गए। यहां पर हाईकमान के दबाव में विधायकों का फैसला बदल दिया गया। विधायकों में विद्रोह की स्थिति थी।

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