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भोपाल

मध्यप्रदेश की सियासत में फिर दोहराया जा रहा है 1996 का इतिहास?

ज्योतिरादित्य सिंधिया नई पार्टी बना सकते हैं इसको लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।

भोपालFeb 19, 2020 / 12:30 pm

Pawan Tiwari

मध्यप्रदेश की सियासत में फिर दोहराया जा रहा है 1996 का इतिहास?

मध्यप्रदेश की सियासत में फिर दोहराया जा रहा है 1996 का इतिहास?

भोपाल. मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के सड़क पर उतरने के बयान के बाद कमलनाथ सरकार के कई मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में उतरे तो सीएम कमलनाथ ने सिंधिया से नाराजगी की अटकलों को लेकर कहा- मेरी ज्योतिरादित्य सिंधिया से कोई नाराजगी नहीं है। प्रदेश कांग्रेस की महासचिव रुचि ठाकुर ने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट कर नई अटकलों को हवा दी है। रुचि ठाकुर की पोस्ट के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया नई पार्टी बना सकते हैं और उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘उगता हुआ सूरज’ हो सकता है? हालांकि ये मध्यप्रदेश की राजनीति में हो रही कयासबाजी है।
मध्यप्रदेश की सियासत में फिर दोहराया जा रहा है 1996 का इतिहास?
क्या कहा रूचि ठाकुर ने?
प्रदेश कांग्रेस की महासचिव रुचि ठाकुर ने फेसबुक पर लिखा कि पार्टी में चल रहे द्वंद से प्रदेश के सभी कार्यकर्ता व्यथित हैं। क्योंकि महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया जी की कड़ी मेहनत से ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। मैं महाराज साहब से अनुरोध करना चाहती हूं कि बड़े महाराज कैलाशवासी माधवराव सिंधिया की पार्टी ( मध्यप्रदेश विकास कांग्रेस ) जिसका चुनाव चिह्न उगता सूरजा था, उसे पुन: जीवित करें। हम सब आपके साथ हैं।

माधवराव सिंधिया ने बनाई थी नई पार्टी
1996 में कांग्रेस से नाराज तीन बड़े नेता नारायण दत्त तिवारी, अर्जुन सिंह और माधवराव सिंधिया ने पार्टी छोड़ दी थी। इनमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने तिवारी कांग्रेस पार्टी का गठन कर लोकसभा का चुनाव लड़ा था तो माधवराव सिंदिया ने ‘मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस’ पार्टी का गठन किया था। 1996 के चुनाव में माधवराव सिंधिया इसी पार्टी से मैदान में उतरे थे और जीत दर्ज की थी। माधव राव सिंधिया की पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘ऊगता हुआ सूरज’ था।
माधवराव की तरह घेरे जा रहे हैं सिंधिया?
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस में माधवराव सिंधिया के पास भी कई राजनैतिक विरोधी थे। माधवराव सिंधिया को कभी भी मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनना था लेकिन उनकी जगह दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए थे। हवाला घोटाला में जब माधवराव सिंधिया का नाम आया तो कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने माधवराव सिंधिया के खिलाफ हमला बोल दिया था। उसके बाद माधवराव सिंधिया को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। ठीक उसी तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर भी कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद ऐसा कहा जा रहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन सिंधिया की जगह तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कमलनाथ को मध्यप्रदेश की बागडोर सौंप दी।
प्रदेश अध्यक्ष को लेकर खींचतान
2019 के लोकसभा चुनाव में गुना-शिवपुरी संसदीय सीट के परिणाम अप्रत्याशित थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी पारंपारिक सीट से पहली बार चुनाव हार गए थे। उसके बाद से अटकलें लगाई जा रही हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। लेकिन अभी तक प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कोई फैसला नहीं हो सका है। वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के राज्यसभा जाने की स्थिति भी अभी तक साफ नहीं है कि वो राज्यसभा जाएंगे या नहीं। क्योंकि मध्यप्रदेश से प्रियंका गांधी को राज्यसभा भेजने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष क्यों चाहते हैं कमल नाथ?
ऐसा कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष के लिए आदिवासी चेहरा चाहते हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा आदिवासी इलाके में जीत दर्ज की थी। जबकि लोकसभा में पार्टी आदिवासी इलाकों में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। ऐसे में कमलनाथ आदिवासियों की नाराजगी दूर करने के लिए आदिवासी चेहरे पर दांव लगाना चाहते हैं।

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