झंडे की बुनाई पूरी होने के बाद इसका जरूरी परीक्षण किया जाता है। तिरंगे के केंद्र में अशोक चक्र को स्क्रीन मुद्रित या काढ़ा जाता है। इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि चक्र अच्छी तरह से मिलता हो और दोनों ओर से ठीक दिखाई दे। जरूरी जांच होने के बाद ही उसे फिर विभिन्न इकाइयों में भेजा जाता है।
बारिश में नहीं छूटता रंग
खादी ग्रामोद्योग भवन न्यू मार्केट के मैनेजर निहोर प्रसाद यादव ने बताया कि अशोक चक्र की नीली स्याही काफी महंगी होती है। यह 15 से 20 हजार रुपए प्रतिकिलो मिलती है। बारिश में इसका रंग नहीं छूटता। खादी ग्रामोद्योग आयोग के बीएल मरावी ने बताया कि राष्ट्रीय पर्व पर इसकी डिमांड अधिक रहती है। घर-घर तिरंगा फहराया जा सकता है। राष्ट्रीय पर्वों पर औसतन केंद्र से 300 से अधिक राष्ट्रध्वज उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके दाम हर जगह एक जैसे हैं। 3 फीट लंबा और 2 फीट चौड़ा तिरंगा 750 रुपए में उपलब्ध होता है।
ये भी जानें
– भारतीय ध्वज को पिंगली वैंकैया ने डिजाइन किया था, जो एक किसान व स्वतंत्रता सेनानी थे। – कानूनन भारत के ध्वज को खादी से बनाने के आदेश हैं, खादी जो किसी जमाने में सादगी और संघर्ष का प्रतीक थी. खादी को जनप्रिय और जनसुलभ बनाने में महात्मा गांधी की अहम भूमिका थी।