जिसके बाद पत्र याचिका का निराकरण करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि रेलवे सीट रिजर्वेशन में सबसे पहले गर्भवती महिलाओं, फिर सीनियर सिटीजन और उसके बाद फिर वीवीआईपी को प्राथमिकता दे। लोअर बर्थ के आरक्षण के मुद्दे पर हाई कोर्ट के जस्टिस संजय यादव और जस्टिस अतुल श्रीधरण की डबल बेंच ने कहा, गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता देने के लिए सिर्फ इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि स्वास्थ्य कारणों के कारण उनके लिए मिडिल बर्थ या अपर बर्थ सही नहीं है। उन्हें कई तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है। यही कारण है कि डिवीजन बेंच ने पत्र याचिका का निराकरण करते हुए रेलवे से वरीयता क्रम में बदलाव के लिए कहा है।
बता दें कि जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव के अनुभव पर अधिवक्ता आदित्य संघी ने अपनी सहमति जताते हुए एक अर्जी दायर की थी। याचिका की सुनवाई के दौरान रेलवे की ओर से जवाब दिया गया था कि लोअर बर्थ के आवंटन में सबसे पहले प्राथमिकता वीवीआईपी को दी जाती है। जिसमें मंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज भी शामिल रहते हैं। इसके बाद ही गर्भवती महिलाओं और फिर सीनियर सिटीजन को सीट दी जाती है।