ऐसे सुधारें
आयकर विभाग के पोर्टल incometax.gov.in पर जाकर गलती को सुधार सकते हैं। कर सलाहकार, सीए के माध्यम से भी सुधार किया जा सकता है। विभाग के पास बैंकों में जमा-निकाली गई राशि, खरीदे-बेचे गए शेयर, यूचुअल फंड में निवेश आदि की जानकारी रहती है।
ध्यान रखें ये बातें
-कमाई के स्रोत के आधार पर अलग अलग ITR फॉर्म होते हैं. इसलिए जरूरी होता है कि आप अपनी कमाई के स्रोत मुताबिक सही इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म का चुनाव करें.
-अक्सर देखा गया है कि लोग ITR फाइल करने के बाद ये सोचते हैं काम पूरा हो गया, जबकि इसके बाद ई-वेरिफिकेशन भी अनिवार्य होता है. ITR फाइल करने के 120 दिनों के अंदर ई-वेरिफिकेशन करना जरूरी होता है. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो आपके ITR पर असर पड़ता है. ई-वेरिफिकेशन के कई तरीके हैं. नेट बैंकिंग अकाउंट, आधार OTP के जरिए आप इसे पूरा कर सकते हैं.
-अगर किसी टैक्सपेयर ने ड्यू डेट तक जरूरी डॉक्यूमेंट्स/जानकारियों के अभाव, समय की कमी इत्यादि के चलते आईटीआर नहीं फाइल कर पाए तो लेट फाइलिंग फी, बैलेंस टैक्स लाइबिलिटी पर इंटेरेस्ट का भुगतान करना होगा. इसके अलावा कुछ लॉसेज को कैरी फॉरवर्ड भी नहीं कर पाएंगे.