झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवारी के लिए दावेदारी शुरू हो गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया भी यहां से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। भूरिया को लगता है कि उपचुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहेगा। भले कांग्रेस रतलाम सीट हारी हो, लेकिन झाबुआ विधानसभा क्षेत्र में उसको भाजपा से ज्यादा वोट मिले हैं। भूरिया लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के आगे अपनी परंपरागत रतलाम सीट भी हार चुके हैं। उनको भाजपा के जीएस डामोर ने चुनाव हराया है। इससे पहले डामोर विधानसभा चुनाव में कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को हरा चुके हैं। कांतिलाल भूरिया व उनके पुत्र विक्रांत ने उपचुनाव लडऩे के लिए सक्रियता बढ़ा दी है। हालांकि, कांग्रेस भूरिया या उनके पुत्र में से किसी एक को टिकट देती है तो वहां असंतोष बढ़ सकता है। इसका फायदा भाजपा उठाना चाहती है।
– कांग्रेस में दावेदारी की दौड़
झाबुआ उपचुनाव में भले ही अभी देरी है, लेकिन कांग्रेस में दावेदारी शुरू हो गई है। कांतिलाल दोबारा विक्रांत के लिए टिकट मांगने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए खुद के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इससे पहले भूरिया 2014 में भी रतलाम संसदीय सीट हारे थे, लेकिन कुछ महीनों बाद हुए उपचुनाव में अच्छे मतों से जीते भी थे। उनके लिए अपने राजनीतिक पुनर्वास का ये उपचुनाव बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
– संगठन चाहे नया चेहरा
कांग्रेस संगठन किसी नए चेहरे को झाबुआ सीट से उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रहा है। पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा झाबुआ से उम्मीदवार हो सकते हैं। मेड़ा को 2008 में राहुल गांधी कोटे से टिकट दिया गया था और वे चुनाव जीते भी थे। 2018 में कांग्रेस ने विक्रांत भूरिया को उम्मीदवार बनाया, जिससे नाराज होकर मेड़ा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और विक्रांत की हार का बड़ा कारण बने। अब कांग्रेस फिर से मेड़ा को उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है।
– राकेश सिंह, अध्यक्ष, प्रदेश भाजपा
कांग्रेस झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज करेगी। टिकट का फैसला पीसीसी अध्यक्ष की राय से पार्टी हाईकमान करेंगे।
– चंद्रप्रभाष शेखर, संगठन प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस
– कांतिलाल भूरिया, पूर्व सांसद