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भोपाल

प्रदेश का सियासी भविष्य तय करेगी झाबुआ की जंग

विधानसभा उपचुनाव : तिथि तय नहीं, लेकिन दावेदारी और सियासी दांव शुरू

भोपालJun 05, 2019 / 09:25 pm

anil chaudhary

Congress was confident in Barmer's seat in state

Congress was confident in Barmer’s seat in state

भोपाल. जीएस डामोर के विधायक पद से इस्तीफे के साथ ही मध्यप्रदेश में नए सियासी संग्राम के हालात बनने लगे हैं। डामोर झाबुआ से भाजपा विधायक थे। कांग्रेस इस सीट पर कब्जा जमाकर सदन में अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल करने की तैयारी में जुटी है तो भाजपा चुनाव से पहले कांग्रेस के कुछ नेताओं को तोड़कर बड़ा झटका देना चाहती है। आदिवासी बाहुल झाबुआ विधानसभा सीट पर जिसका कब्जा होगा, उसका आने वक्त में प्रदेश में दबदबा बढïऩा तय माना जा रहा है।
– कांग्रेस को झटका देने की तैयारी में भाजपा
विधानसभा में बहुमत से कुछ ही दूर रही भाजपा के नेता चुनाव के बाद से ही कांग्रेस सरकार को गिराने की दावेदारी करते रहे हैं। झाबुआ उपचुनाव से पहले भाजपा इस इलाके में कुछ नेताओं को तोड़कर कांग्रेस को झटका देने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा वहां कांग्र्रेस में सेंध लगाने की तैयारी में जुट गई है। पार्टी उन असंतुष्टों को तोड़ कर भाजपा में शामिल करा सकती है। इसमें कांग्रेस के एक पूर्व विधायक पर भी भाजपा की नजर है। पार्टी के कुछ नेताओं की पूर्व विधायक के साथ पहले दौर की चर्चा भी हो चुकी है।
– मंगलवार को चलती रही मंत्रणा
डामोर के झाबुआ विधानसभा सीट छोडऩे के निर्णय के साथ ही भाजपा में इस सीट को लेकर मंत्रणा का दौर शुरू हो गया। मंगलवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश ङ्क्षसह ने भोपाल में इस मामले में प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत और प्रदेश उपाध्यक्ष विजेश लुनावत के साथ चर्चा की। इसके बाद पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को भी भाजपा कार्यालय बुलाया गया। मिश्रा और भगत ने बैठकर झाबुआ सीट को लेकर रणनीति तैयार की। सूत्रों के मुताबिक भाजपा नरोत्तम मिश्रा के साथ ही रतलाम के विधायक चेतन काश्यप और पूर्व मंत्री विश्वास सारंग को झाबुआ में सेंध के लिए जिम्मेदारी सौंपने जा रही है।
– डामोर का इस्तीफा मंजूर
विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने झाबुआ विधानसभा सीट से विधायक जीएस डामोर का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। झाबुआ को रिक्त सीट घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। अब इस विधानसभा सीट पर उपचुनाव होंगे। मालूम हो हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव मेें डामोर रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते। सांसद बनने के बाद उन्हें विधायक या सांसद किसी एक पद को छोडऩा था, इसलिए उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दिया।
– ग्वालियर महापौर शेजवलकर ने भी दिया इस्तीफा
ग्वालियर से भाजपा के टिकट पर सांसद बने विवेक शेजवलकर ने महापौर पद से इस्तीफा दे दिया है। शेजवलकर ने कमिश्नर बीएम शर्मा को अपना इस्तीफा सौंपा। उनका महापौर का कार्यकाल छह महीने बचा था। महापौर और सांसद दोनों लाभ के पद हैं। नियम के मुताबिक एक बार में लाभ के एक ही पद पर रहा जा सकता है।
भूरिया तैयार, कांग्रेस नए उम्मीदवार के पक्ष में
झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवारी के लिए दावेदारी शुरू हो गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया भी यहां से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। भूरिया को लगता है कि उपचुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहेगा। भले कांग्रेस रतलाम सीट हारी हो, लेकिन झाबुआ विधानसभा क्षेत्र में उसको भाजपा से ज्यादा वोट मिले हैं। भूरिया लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के आगे अपनी परंपरागत रतलाम सीट भी हार चुके हैं। उनको भाजपा के जीएस डामोर ने चुनाव हराया है। इससे पहले डामोर विधानसभा चुनाव में कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को हरा चुके हैं। कांतिलाल भूरिया व उनके पुत्र विक्रांत ने उपचुनाव लडऩे के लिए सक्रियता बढ़ा दी है। हालांकि, कांग्रेस भूरिया या उनके पुत्र में से किसी एक को टिकट देती है तो वहां असंतोष बढ़ सकता है। इसका फायदा भाजपा उठाना चाहती है।
– कांग्रेस में दावेदारी की दौड़
झाबुआ उपचुनाव में भले ही अभी देरी है, लेकिन कांग्रेस में दावेदारी शुरू हो गई है। कांतिलाल दोबारा विक्रांत के लिए टिकट मांगने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए खुद के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इससे पहले भूरिया 2014 में भी रतलाम संसदीय सीट हारे थे, लेकिन कुछ महीनों बाद हुए उपचुनाव में अच्छे मतों से जीते भी थे। उनके लिए अपने राजनीतिक पुनर्वास का ये उपचुनाव बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
– संगठन चाहे नया चेहरा
कांग्रेस संगठन किसी नए चेहरे को झाबुआ सीट से उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रहा है। पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा झाबुआ से उम्मीदवार हो सकते हैं। मेड़ा को 2008 में राहुल गांधी कोटे से टिकट दिया गया था और वे चुनाव जीते भी थे। 2018 में कांग्रेस ने विक्रांत भूरिया को उम्मीदवार बनाया, जिससे नाराज होकर मेड़ा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और विक्रांत की हार का बड़ा कारण बने। अब कांग्रेस फिर से मेड़ा को उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है।
झाबुआ विधानसभा सीट पार्टी ने रणनीति के हिसाब से छोड़ी है। हम यह सीट फिर से जीतने जा रहे हैं। समय आने पर सब स्पष्ट हो जाएगा।
– राकेश सिंह, अध्यक्ष, प्रदेश भाजपा


कांग्रेस झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज करेगी। टिकट का फैसला पीसीसी अध्यक्ष की राय से पार्टी हाईकमान करेंगे।
– चंद्रप्रभाष शेखर, संगठन प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस
झाबुआ उपचुनाव जीतने की कांग्रेस की पूरी तैयारी है, हम लोकसभा चुनाव में झाबुआ सीट जीते हैं। आदिवासियों का हम पर पूरा भरोसा है।
– कांतिलाल भूरिया, पूर्व सांसद

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