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भोपाल

हार के बाद कांग्रेस में बढ़ी रार, सिंधिया समर्थकों ने शुरू की लॉबिंग…

तमाम तरह की अटकलें शुरू…

भोपालMay 26, 2019 / 05:39 pm

दीपेश तिवारी

Scindia

हार के बाद कांग्रेस में बढ़ी रार, सिंधिया समर्थकों ने शुरू की लॉबिंग…

भोपाल। लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद अब एक बार फिर कांग्रेस के सामने नया चैलेंज खड़ा हो गया है। दरअसल मध्यप्रदेश की दूसरी प्रमुख सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के हार जाने से उन्हें लेकर तमाम तरह की अटकलें शुरू हो गईं है।

वहीं इसी बीच प्रदेश में कांग्रेस की गुटबाजी शुरू होने की सूचनाएं भी सामने आ रही हैं। कांग्रेसी प्रदेश में कांग्रेस की हार से ज्यादा गुना व ग्वालियर के लोग सिंधिया की हार से सदमे में हैं।

वहीं इस समय कांग्रेस के मंत्रियों और नेताओं के जो बयान सामने आ रहे हैं उससे ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस अपनी हार की समीक्षा की बजाय हार का ठीकरा किसके सर फोड़ा जाए, इस पर ज्यादा ध्यान दे रही है।

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अब सिंधिया को लेकर ये बातें आ रही हैं सामने…
इन सबके बीच लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया का भविष्य क्या होगा। इसकी चर्चाएं भी शुरू हो गईं हैं।

वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी तो केंद्रीय कार्यसमिति ने राहुल गांधी को पूरी पार्टी में बदलाव करने के लिए अधिकृत कर दिया। जिसके बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी खाली होने वाली है और राज्यसभा में भी एक नई सीट कांग्रेस के खाते में आने वाली है और वे सिंधिया को इन्हीं में से किसी एक जगह का दारोमदार देंगे।
वहीं सिंधिया समर्थक कांग्रेस नेता इस समय किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं। 23 मई को परिणाम के बाद सदमे में आए कई नेता मीडिया से दूरी बनाये हुए हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर सक्रिय बने हुए हैं।
Scindia in indian politics

वहीं इसी बीच प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी के ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने की मांग के बाद ग्वालियर कांग्रेस के जिला प्रवक्ता एवं पूर्व पार्षद आनंद शर्मा ने कांग्रेस के ग्रुप में एक पोस्ट डालकर कहा कि कार्यकर्ताओं में स्फूर्ति और नई जान फूंकने के लिए महाराज को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए जिससे कमलनाथ का अनुभव और सिंधिया का जोश मिलकर कांग्रेस को मजबूत करेंगे।

वहीं जानकारों के अनुसार दोनों दिग्गजों के हार जाने के बाद अब मध्यप्रदेश कांग्रेस में सिर्फ एक ही नेता शेष रह गया है और वो हैं सीएम कमलनाथ।

तो क्या राहुल गांधी शक्ति के संतुलन के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी प्रदान करेंगे ताकि ज्योतिरादित्य सिंधिया का मध्यप्रदेश में दखल बना रहे और वो अपना समय संगठन को मजबूत करने में लगा सकें।

वहीं यह भी माना जा रहा है कि सिंधिया को कांग्रेस राज्यसभा में बतौर सांसद ले जाएगी। दरअसल राज्यसभा के लिए मध्यप्रदेश के पास कुल 11 सीटें हैं। इनमें से 3 दिग्विजय सिंह, प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया का कार्यकाल 09 अप्रैल 2020 यानी करीब 1 साल बाद खत्म होने वाला है।

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या 114 है। इस हिसाब से कांग्रेस को 3 में से 2 सीटें मिलेंगी। दिग्विजय सिंह अपनी सीट पर सुरक्षित हैं तो दूसरी सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए हो सकती है। क्योंकि राहुल गांधी को संसद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की जरूरत है, तो यह संभव है कि सिंधिया के पास सांसद का पद तो बना रहे।

वहीं सूत्रों से सामने आ रही सूचना के अनुसार आनंद शर्मा की पोस्ट के बाद कार्यकर्ताओं ने इसका समर्थन शुरू कर दिया। इसी बीच किसी कार्यकर्ता ने दिग्विजय सिंह को अधिक अनुभवी बताते हुए उनकी पैरवी कर दी। उसके बाद अतिसुन्दर सिंह ने सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाने की मांग करते हुए पोस्ट डाल दी। अतिसुन्दर की पोस्ट के एक एक कर कई कांग्रेसी समर्थन करते दिखाई दिए। यानि ग्वालियर कांग्रेस के व्हाट्स अप ग्रुप में कोई सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहता है तो कोई मुख्यमंत्री तो कोई दिग्विजय सिंह को।

क्यों हारे चुनाव…
राजनीति के जानकार डीके शर्मा के अनुसार सिंधिया पिछले चुनाव में शिवपुरी एवं गुना शहर से चुनाव हारे थे। इस बार भी उन्हें शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा। जिसकी यह वजह भी सामने आई है कि गुना संसदीय क्षेत्र में तीन जिले शिवपुरी, गुना और अशोकनगर की आठ सीटें आती हैं। जहां ज्यादा वोट बैंक ग्रामीण क्षेत्र से आता है।


कर्जमाफी का सिंधिया को बड़ा नुकसान हुआ। वे चुनाव संभा में मंच ये कर्जमाफी का ऐलान करते, उसी सभा में किसान उनसे सवाल करते कि उनका कर्जमाफ नहीं हुआ। इसके अलावा इस बार सूत्र कहते हैं कि सिंधिया ने भी अपने चुनावों की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था।

हार के मामले में शर्मा का ये भी कहना है कि ऐसा लगता है सिंधिया के पहली बार आक्रमक होने से ये स्थिति बनी क्योंकि इससे पहले चाहे स्व. माधवराव सिंधिया रहे हो या स्व. राजमाता कभी भी अपने विरोधियों पर इतने आक्रमक नहीं हुए, जितने इस बार ज्योतिरादित्य, वे (स्व. माधवराव सिंधिया व स्व. राजमाता) हमेशा शब्दों से सम्मान ही रखते थे।
शायद ज्योतिरादित्य के कुछ प्रधानमंत्री या विपक्षियों को कहे गए आक्रमक शब्द भी लोगों को नागवार गुजरे। इसके अलावा नाम पट्टिका को लेकर भी पिछले दिनों हुए हुडदंग ने सिंधिया की छवि को नुकसान पहुंचाया।
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