एसआईटी चीफ बदले जाने के बाद पुलिस महकमे के अंदर खलबली मच गई। एसआईटी ने जब इस मामले की जांच शुरू की तो कई तथ्य सामने आए। उसके दो दिन बाद गाजियाबाद में साइबर सेल और एसटीएफ के लिए गए फ्लैट को डीजीपी के निर्देश पर खाली करवा दिया गया। कथित रूप से इसके तार हनीट्रैप मामले से जोड़ा गया।
दोनों अफसरों में ठनी
इसके बाद जैसे ही यह खबर आई कि गाजियबाद स्थित पॉश इलाके में जो साइबर सेल और एसटीएफ के फ्लैट थे, उसके तार हनीट्रैप से जुड़े रहे हैं। तभी एसटीएफ और साइबर सेल के डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने डीजीपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि यह हमारी छवि खराब करने की कोशिश है। डीजी को जानकारी देकर यह फ्लैट लिया गया है।
दोनों अधिकारियों के बीच तानातानी की खबरें सुर्खियों में हैं। लेकिन डीजीपी वीके सिंह खामोश हैं। विवाद की खबरों को उन्होंने मीडिया से खारिज भी नहीं किया है और न ही इसे गलत बताया है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों बड़े अधिकारियों में किस कदर तक ठनी हुई है।
डीजीपी अभी चुप हैं, तो शनिवार को पुरुषोत्तम शर्मा एक बार फिर से डीजीपी पर कई आरोप लगाए हैं। उन्होंने इस पूरे विवाद की जानकारी सीएम कमलनाथ को पत्र लिखकर दी है। साथ ही उन्होंने सलाह भी दिए हैं। पहले तो पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि ये मामला पुलिस के परिवार का आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा कि ये मेरा व्यक्तिगत मत है। एसआईटी का गठन लगातार विवादों में रहा है। इसके साथ ही साइबर सेल के गेस्ट हाउस को इससे जोड़ा है। ऐसे में पुलिस महानिदेशक की भूमिका पर सवाल उठने लगता है।
वहीं, अपने तेवर से एसटीएफ और साइबर के डीजी पुरुषोत्तम शर्मा के तेवर देख लग रहे हैं कि वो झुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने पत्रिका से बात करते हुए कहा कि डीजीपी ने चरित्र हत्या करने की साजिश रची है। वे डीजीपी पर लगाए आरोपों पर अभी भी कायम हैं।
दोनों अफसरों के विवाद पर सरकार चुप है। सरकार की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। पूरे मामले की जानकारी सीएम कमलनाथ को है। बताया जा रहा है कि इस पर नजर बनाए हुए हैं। क्योंकि सीएम को भी डीजीपी के इस फैसले की जानकारी नहीं थी। अगर इन दोनों अफसरों के बीच चल रहे विवाद को नहीं सुलझाया गया तो सरकार की और किरकिरी होगी। लेकिन सरकार इतनी जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेगी।