इस विशेष दिन में चांद निकलने के बाद ही पत्नियां अपना व्रत खोल पाती हैं। पूरा दिन व्रत रहने के बाद महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती हैं। इसके बाद चांद निकलने पर अर्घ्य चढ़ाकर पति का चेहरा देखा जाता है, जिसके बाद पत्नी का व्रत खुलता है। शहर के ज्योतिषाचार्य पंडित जगदीश शर्मा बताते है कि चंद्रमा के दर्शन और उपवास खोलने से पहले कुछ चीजें हैं जिनका खास ध्यान रखा जाना चाहिए। माना जाता है ऐसा नहीं करने पर चंद्रमा नाराज हो जाते हैं और पत्नी को उसकी पूजा का फल नहीं मिलता। जानिए कौन सी हैं वे बातें….
– पंडित जी बताते है कि ये व्रत वैसे तो पति के लिए रखा जाता है लेकिन इस दिन घर में पत्नी, मां, सास या अन्य किसी बुजुर्ग का अपमान नहीं करना चाहिए। अगर आप ऐसा करती है तो आपका व्रत पूरा नहीं माना जाता। इस व्रत में बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद लेना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
– सुहागिन महिलाएं ध्यान रखें कि इस दिन किसी को भी दूध, दही, चावल कोई भी सफेद कपड़ा या अन्य सफेद वस्तु न दें। कहा गया है कि अगर कोई भी विवाहित महिला इन चीजों का दान करती है तो चंद्रमा नाराज हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं।
– करवाचौथ के दिन मां गौरी की पूजा करके उन्हें हलवा-पूरी का भोग लगाने के बाद अपनी सास को ये प्रसाद देना कभी न भूलें।
– करवाचौथ के इस विशेष दिन में हर महिला को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस दिन सफेद या काला रंग न पहनें। सुहागिन महिलाओं के लिए ये रंग पूरी तरह से अशुभ होते हैं। इस दिन जहां तक हो सके लाल या पीला रंग ही घारण करें।