scriptरिश्तों में मिठास बढ़ाता है तिल-गुड़, आपके लिए जरूरी है संक्रांति की ये 7 बातें | Khichdi Parv in India and Makar Sankranti 2018 Date Time and Mahatva | Patrika News
भोपाल

रिश्तों में मिठास बढ़ाता है तिल-गुड़, आपके लिए जरूरी है संक्रांति की ये 7 बातें

मकर संक्रान्ति तिल से बने व्यंजन खाने और पतंग उड़ाने का दिन नहीं है। सूर्य के राशि परिवर्तन करने के साथ ही सेहत और लाइफ स्टाइल से इसका गहरा नाता…।

भोपालJan 13, 2018 / 04:56 pm

Manish Gite

Makar Sankranti 2018
भोपाल। मकर संक्रान्ति तिल से बने व्यंजन खाने और पतंग उड़ाने का दिन नहीं है। सूर्य के राशि परिवर्तन करने के साथ ही सेहत और लाइफ स्टाइल से इसका गहरा नाता है। इन सबके साथ ही यह लोगों की धार्मिक आस्था का भी पर्व है। वहीं यह पर्व किसानों की मेहनत से भी जुड़ा है, क्योंकि इसी दिन से फसल कटाई का समय हो जाता है।
भोपाल के कथा वाचक वल्लभाचार्य शुक्ल बता रहे हैं मकर संक्रांति के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व की वो 7 बातें जो आपको जानना बेहद जरूरी है…।

भोपाल और देश दुनिया की खबरों के लिए देखते रहें mp.patrika.com
Makar Sankranti 2018
एक पर्व हैं नाम अनेक
पं. शुक्ल ने हाल ही में भोपाल के तुलसी नगर स्थित नर्मदा मंदिर में आयोजित धार्मिक अनुष्ठान में बताया कि मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। यह पूरे भारत में मनाया जाता है। मकर संक्रांति एक हैं, लेकिन विभिन्न प्रदेशों में इसके नाम भी अलग हैं। तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण, पंजाब में माघी, असम में बीहू और उत्तर प्रदेश में खिचड़ी कहा जाता है। इस त्योहार का महत्व इतना है कि यह भारत के अलावा नेपाल, थाइलैंड, म्यांमार, कंबोडिया, श्रीलंका में भी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
नाम मकर संक्रांति ही क्यों
12 राशियों में से मकर एक राशि है। सूर्य की एक राशि से दूसरी राशि में जाने की प्रक्रिया को संक्रांति कहते हैं। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।
Makar Sankranti 2018
हर साल एक ही तारीख क्यों?
यही त्योहार ऐसा है जो हर साल एक ही तारीख को आता है। क्योंकि यह त्योहार सोलर कैलेंडर को फालो करता है। दूसरे त्योहारों की गणना चंद्र कैलेंडर के आधार पर होती है। यह साइकल हर 8 साल में एक बार बदलती है। उसी के एक दिन बाद यह त्योहार मनाया जाता है। एक गणना के मुताबिक 2050 से यही त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। फिर हर आठ सालों में 16 जनवरी को मनाया जाएगा। 2017 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई गई, लेकिन 2018 में यह 14 जनवरी को मनाई जाएगी।

बड़ा मीठा है तिल-गुड़ का महत्व
इस त्योहार पर घर में तिल्ली और गुड़ के लड्डू बनाए जाने की परंपरा है। सदियों से यह बात चली आ रही है कि इसके पीछे कड़वी बातों को भुलाकर नई शुरुआत करने की मान्यता है। इसी लिए मराठी में इस त्योहार पर कहा जाता है कि तिल गुड़ घ्या अणि गोड गोड बोला। वैज्ञानिकों के मुताबिक तिल खाने से शरीर गर्म रहता है और इसके तेल से शरीर को भरपूर नमी मिलती है।

रंगबिरंगी पतंग उड़ाने के दौरान मिलता है विटामिन डी
यह पर्व सेहत के लिहाज से बड़ा ही फायदेमंद है। सुबह-सुबह पतंग उड़ाने के बहाने लोग जल्द उठ जाते हैं वहीं धूप शरीर को लगने से विटामिन डी मिल जाता है। इसे त्वचा के लिए भी अच्छा माना गया है। सर्द हवाओं से होने वाली कई समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।

इसी दिन से होती है तीर्थ यात्रा की शुरुआत
देश में विभिन्न तीर्थ स्थान है, जहां मकर संक्रांति के मौके पर ही तीर्थ की शुरुआत मानी गई है। उत्तर प्रदेश में कुंभ मेले की शुरुआत हो जाती है तो केरल में शबरीमाला में दर्शनों के लिए लोग उमड़ पड़ते हैं। इसी दिन नर्मदा ताप्ति नदियों में डुबकी भी लगाना शुभ माना गया है। प्राचीन मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान से सभी पाप धुल जाते हैं।

बराबर हो जाते हैं दिन-रात
वैज्ञानिक पहलुओं से देखें तो ठंड के मौसम जाने का ***** है और मकर संक्रांति पर दिन-रात बराबर अवधि के होते हैं। इसके बाद से दिन बडे हो जाते हैं और मौसम में गर्माहट आने लगती है। फसल कटाई अथवा बसंत के मौसम का आगमन भी इसी दिन से मान लिया जाता है।

Home / Bhopal / रिश्तों में मिठास बढ़ाता है तिल-गुड़, आपके लिए जरूरी है संक्रांति की ये 7 बातें

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो