scriptकर्ज में दबी 85 हजार से अधिक किसानों की जमीन | Land of more than 85 thousand farmers buried in debt | Patrika News
भोपाल

कर्ज में दबी 85 हजार से अधिक किसानों की जमीन

बेटों के नाम न हो रही नामांतरण और न बेच पा रहे हैं किसान- चुनावी उम्मीद में बीते 40 से 50 साल, अब वन टाइम सेंटलमेंट का इंतजार

भोपालJan 28, 2022 / 11:49 pm

Ashok gautam

कांग्रेस नेताओं के घर पर पुलिस का पहरा

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भोपाल। प्रदेश के 85 लाख 5 हजार से अधिक किसानों की लाखों हेक्टेयर जमीन कर्ज में दबी है। ये किसान चुनावी उम्मीद में 40 से 50 साल गुजार दिए कि शायद सरकार कर्जमाफी कर दे, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया। अब किसान इस चुनाव में वन टाइम सेटलमेंट योजना की आस लगाए बैठे हैं। भूमि विकास बैंक को इन किसानों से जमीन को बंधक मुक्त करने के बदले में 1932.89 करोड़ रुपए लेना है।
भूमि विकास बैंक को सरकार ने परिसमापन कर दिया। इनकी अंशपूजी को अपने कब्जे में ले लिया और इनके कार्य को सहकारी बैंकों को दे दिया। वर्ष 2019 तक सभी कर्मचारियों को इधर-उधर विभागों में मर्ज कर दिया। सरकार ने इस उद्देश्य से जिला सहकारी बैंकों को भूमि विकास बैंक का कर्ज दिया था, क्योंकि ये दोनों बैंक एक ही तरह से काम करते हैं। सहकारी बैंक अपने कर्ज के साथ भूमि विकास बैंकों का भी कर्ज वसूली करती रहेगी। हालत यह रहा कि जिला सहकारी बैंकों ने न तो किसानों को यह बताया कि वे भूमि विकास बैंक का कर्ज हमारे यहां पटा सकते हैं और न ही एक पैसे की वसूली की।

वन टाइम सेंटलमेंट ऑफर का नहीं लिया लाभ
विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा सरकार किसानों को वन टाइम सेंटलमेंट का आफर दिया था। यानी कि किसान मूलधन चुकाकर अपने जमीन बंधक से मुक्त कर सकते थे। लेकिन इसी दौरान कांग्रेस सरकार ने कर्ज माफी की घोषणा कर दी। किसानों को लगने लगा था कि उनकी जमीन राजानैतिक वादों के बीच में मुक्त हो जाएगी। लेकिन ये उम्मीदे भी वादे-इरादों के दावपेंचों में ही उलझकर रह गई। ऐसा किसानों को इसलिए लग रहा था क्योंकि एक बार पहले भी सरकार ने किसानों का पूराकर्ज माफ किया था।

582 करोड़ में से सिर्फ 94 करोड़ की वसूली
सरकार ने वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लागू की थी। इस दौरान भूमि विकास बैंक को किसानों से 582.5 करोड़ रुपए मूलधन वसूलने के लिए कहा था। चुंकि भूमि विकास बैंक बंद होने की कगार पर खड़ा था, इसके चलते कर्मचारियों ने वसूली नहीं की। इसमें से सिर्फ 94.62 करोड़ रुपए किसानों ने जमा कर अपनी करीब 50 हजार हेक्टेयर जमीन मुक्त कराई थी।

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