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Lok Sabha Election 2024 – पहला चुनाव हारी थीं वसुंधरा, फिर बहू बनकर गईं राजस्थान और पलट गई तकदीर, बन गईं सीएम

Lok Sabha Election 2024 -Vasundhara Raje Scindia had lost Bhind एमपी और ग्वालियर छोड़ने के निर्णय के साथ ही वसुंधरा ने अपना भाग्य भी बदल डाला।

भोपालMar 29, 2024 / 05:50 pm

deepak deewan

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वसुंधरा का एमपी से गहरा नाता

Lok Sabha Election 2024 -Vasundhara Raje Scindia had lost Bhind – वसुंधरा राजे सिंधिया को भला कौन नहीं जानता! राजस्थान की यह पूर्व सीएम धाकड़ राजनेता हैं। भले ही वे अब सीएम नहीं हैं लेकिन आज भी बीजेपी में उनका खासा रुतबा है। वसुंधरा का एमपी से गहरा नाता है। वे ग्वालियर के पूर्व सिंधिया राजघराने की बेटी हैं। ग्‍वालियर में ही जन्‍मी, यहीं पली-बढ़ीं और एमपी से ही अपने राजनैतिक केरियर की शुरुआत भी की।
पहले चुनाव में वसुंधरा बुरी तरह हार गईं। तब वे राजस्थान चली गईं और धौलपुर के पूर्व राजघराने की बहू के रूप में सियासत शुरु की। बहू के रूप में राजस्थान में उनको ऐसे हाथों हाथ लिया गया कि वे यहां की राजनीति की ‘महारानी’ बन गईं।
वसुंधरा राजे का जन्म 8 मार्च 1953 को हुआ था। महज 19 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई। धौलपुर रियासत के हेमंत सिंह से उनकी शादी हुई पर दोनों में निभी नहीं। ऐसे में वे बेटे दुष्‍यंत सिंह के साथ अपने मायके ग्‍वालियर आ गईं। बेटे की परवरिश करते हुए वसुंधरा का जीवन ठीकठाक गुजरने लगा था लेकिन उनकी राजनैतिक महत्वाकांक्षाएं जोर मारने लगीं।
दरअसल वसुंधरा न केवल राजपरिवार में जन्मी थीं बल्कि स्वतंत्रता के बाद भी सिंधिया राजघराना राजनीति में सक्रिय था। उनकी मां राजमाता विजयाराजे सिंधिया जनसंघ से जुड़ी थीं और बाद में एमपी में बीजेपी की सबसे दिग्गज नेताओं में रहीं। वसुंधरा के भाई माधवराव सिंधिया भी कांग्रेस की राजनीति में अहम मुकाम हासिल कर चुके थे।
घर के राजनैतिक माहौल का उनपर जबर्दस्त असर पड़ा। वे अपनी राजनैतिक पहचान बनाने के लिए बेकरार हो उठीं। वसुंधरा की राजनैतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने का बीड़ा उठाया उनकी मां राजमाता सिंधिया ने। उन्होंने वसुंधरा राजे को सन 1984 में लोकसभा चुनाव में उतार दिया।
वसुंधरा भिंड-दतिया संसदीय सीट से बीजेपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ीं। यह सीट ग्वालियर राजघराने के प्रभाव क्षेत्र में मानी जाती थी लेकिन तब भी उन्होंने खूब मेहनत की। हालांकि वे जीत नहीं सकीं। वसुंधरा राजे कांग्रेस के प्रत्याशी राजा कृष्ण सिंह जूदेव से पराजित हो गईं।
हार के बाद भी जोश खत्म नहीं हुआ- हार के बाद भी वसुंधरा का जोश खत्म नहीं हुआ। उन्होंने अपनी रणनीति और कार्यक्षेत्र दोनों ही बदल लिए। वसुंधरा ने ग्वालियर छोड़ा और बेटे दुष्यंत को लेकर धौलपुर में रहने लगीं। उन्होंने खुद को राजस्थान की बहू के रूप में पेश करते हुए राजनीति में पैठ जमाना शुरु कर दिया।
वसुंधरा राजस्थान क्या आईं, उनकी किस्मत भी बदल गई। ग्वालियर की बेटी जैसे ही राजस्थान की बहू बनीं, उनकी राजनीति चमक उठी। सूबे की सियासत में उनका ऐसा सिक्का जमा कि वे राजस्थान से पांच बार MP बनीं और छह बार विधायक यानि MLA रहीं। और तो और, दो बार राजस्थान की सीएम भी बनीं।
भाजपा की नेता वसुंधरा राजे का झालावाड़ गढ़ बन गया। वे 1989 से 1999 तक यहां से लगातार पांच बार सांसद चुनी गईं। 2003 में वसुंधरा राजे सिंधिया पहली बार राजस्‍थान की सीएम बनीं और 2013 में दूसरी बार भी सीएम का पद संभाला। वे 2003 से 2023 तक लगातार छह बार विधायक बन चुकी हैं। इस तरह एमपी और ग्वालियर छोड़ने के निर्णय के साथ ही वसुंधरा ने अपना भाग्य भी बदल डाला।

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