जानकारी ना देने के पीछे लोकायुक्त का तर्क
आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने संबंधित जानकारी के साथ साथ आईटी विभाग में जुलाई 2017 तक दर्ज भ्रष्टाचार से जुड़ी कुछ अन्य मामलों की जानकारियां भी मुहय्या कराने की मांग की थी। इसपर जवाब देते हुए लोकायुक्त ने कहा कि सूचना ‘सवाल-जवाब’ फॉर्मेट में मांगी गई है, इसलिए उसे देना संभव नहीं है, ऐसी जानकारियों को साझा नहीं की जाता। लोकायुक्त ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून की धारा दो (एफ) का हवाला देते हुए कहा कि, सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी मांगी गई है, उसे कानून के तहत पारदर्शी नहीं किया जा सकता, इसलिए इस सूचना को साझा करके सार्वजिनक नहीं किया जा सकता।
‘सार्वजनिक नहीं की जा सकती सूचना’
भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ छापों से संबंधित आयकर विभाग द्वारा दी गई सूचना पर जानकारियां साझा करने पर एक सवाल के जवाब में लोकायुक्त ने कहा कि सूचना सार्वजनिक नहीं की जा सकती, क्योंकि जांच शाखा विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (एसपीई) को ऐसी जानकारियों का खुलासा करने से इस कानून के तहत छूट दी गई है। आपको बता दें कि, हाल ही में आयकर विभाग द्वारा कर चोरी और हवाला लेनदेन के मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों के मध्य प्रदेश समेत देशभर के 50 से ज्यादा ठिकानो पर छापामारी की थी। उस दौरान सूत्रों से पता चला था कि, आयकर विभाग की कार्रवाई में करोड़ों की संपत्ति और रुपयों के जब्त किये जाने की बात सामने आई थी।