पंडित जी बताते है कि मंगल स्वराशि रहेगा। चंद्र, शुक्र और केतु एक साथ मकर राशि में रहेंगे। शनि धनु राशि में रहेगा। ऐसा योग 29 साल पहले बना था, जब शनि धनु राशि में था और शिवरात्रि मनाई गई थी। पंडित जी ये भी बताते है कि अगर महाशिवरात्रि की पूजा में आपसे कोई भूल हो जाए तो घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। अगर पूजा के दौरान भी आपसे कोई भी गलती हो जाए तो नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें…..
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।
इस मंत्र का अर्थ ये है कि हे परम पिता परमेश्वर, हम सबसे कई अपराध होते है। यह मेरा दास है। इस बात को स्वीकार करके मेरे सारे अपराधों को क्षमा करो। आपको दर्शन कर लेने मात्र से ही मेरे सारे दुखों का अंत हो। साथ ही दरिद्रता दूर होकर सुख-संपत्ति प्राप्त हो। ऐसा मुझे वरदान दें।
भूलकर भी न करें ये काम
हमेशा ध्यान रखें कि शिव जी की पूजा के दौरान कभी भी कुछ चीजों को भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए। जिन चीजों की हम बात कर रहे हैं उन चीजों को शास्त्रों में भी मना किया गया है। कभी भी शिव जी की पूजा में शंख नहीं बजाना चाहिए। पंडित जी बतीते है कि भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था, जो भगवान विष्णु का भक्त था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए शिवजी की पूजा में कभी भी शंख नहीं बजाना चाहिए।