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mahashivratri 2020: दूध नहीं यहां पारे से होता है अभिषेक, कई बार रूप बदलता है शिवलिंग

महाशिवरात्रि 2020 के मौके पर पत्रिका.कॉम बता रहा है मध्यप्रदेश के प्राचीन शिवालयों के बारे में…।

भोपालFeb 14, 2020 / 05:02 pm

Manish Gite

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mahashivratri 2020 date and time

भोपाल। भोलेनाथ के भक्तों की दुनिया बड़ी निराली है। भक्तों की ही श्रद्धा है कि दुनियाभर में अनोखे और अनूठे शिवलिंग हमें देखने को मिलते हैं। पचमढ़ी का जटाशंकर धाम हो या चौरागढ़, तिलक सिंदूर हो या विश्व प्रसिद्ध भोजपुर का शिवालय। सभी का अपना-अपना महत्व है।

महाशिवरात्रि 2020 के मौके पर पत्रिका.कॉम आपको बताने जा रहा है मध्यप्रदेश के प्राचीन शिवालयों के बारे में जो भक्तों के कारण दुनियाभर में चर्चित हो गए हैं।

पारे का शिवलिंग
सुनकर अजीब लगेगा, लेकिन यह सही है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक ऐसा शिवलिंग है जो पत्थरों से नहीं पारे से बना हुआ है। ज्यादा गर्मी में यह पिघल भी सकता है, लेकिन ऐसा नहीं होता है। यहां के पंडित रामदास कहते हैं कि 18 ाल पहले बने इस शिवालयर में पहले हनुमान प्रतिमा थी। इसके बाद हरिद्वार के निरंजन अखाड़े के गरीबदासजी से छह माह तक दीक्षा ग्रहण करने के बाद इस शिवलिंग की स्थापना की गई।

 

 

सवा क्विंटल पारे से बना है यह शिवलिंग
भोपाल के भेल क्षेत्र में स्थित पारदेश्वर शिवलिंग सवा क्विंटल पारे से बनाया गया है। इसके लिए देश-विदेशों में रहने वाले भक्तों ने पारा जुटाकर शिवलिंग निर्माण कराया है।


6 माह में तैयार हुआ शिवलिंग
मध्यप्रदेश के इस अनूठा शिवलिंग को बनाने का काम बहुत पेचीदा था। पारा चूंकि हल्की गर्मी में ही पिघल जाता था, इसलिए इसे स्वर्ण भस्म के मिश्रण से बनाया गया है। करीब छह माह लग गए इस शिवलिंग को बनाने में। पं. रामदास के मुताबिक उस समय अकेले शिवलिंग निर्माण की लागत ही 55 लाख के पार निकल गई थी।

 

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हिमालय-सा अहसास देते हैं ये पेड़
मंदिर में लगे पेड़ भी अनोखे हैं। क्योंकि इस मंदिर में इन पेड़ों का पनपना भी मुश्किल था। क्योंकि हिमालय क्षेत्र में रहने वाले रुद्राक्ष के लिए यहां की जलवायु उपयुक्त नहीं थी। लेकिन, यह भी चमत्कार ही है कि उन्हें ऐसा वातावरण दिया है कि यह पौधे अब बड़े हो गए। नेपाल से लाए गए इन पौधों में एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर 14 मुखी तक रुद्राक्ष बनते हैं।

 

होती है विशेष पूजा
मंदिर में अक्षय वट भी लगाया गया है, जिसकी विशेष पूजा-अर्चना होती है। इसकी हर एक पत्ती पर भगवान श्रीकृष्ण की दो उंगलियों की छाप नजर आती है। इसलिए भक्त इस पेड़ में भगवान का वास मानते हैं।

 

 

यह भी है खास
-हर साल महाशिवरात्रि और श्रावण में सवा किलो पारे से अभिषेक किया जाता है।
-यहां दूध के अलावा पारे से भी अभिषेक किया जाता है।
-विदेशों के भक्त लगाते हैं मन्नत की अर्जी।
-जब अभिषेक शुरू होता है तो शिवलिंग मणि के समान चमकते हैं।
-अभिषेक होने पर स्वर्ण के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं।
-लोगों की मन्नतें पूरी करने के कारण इस शिवलिंग के प्रति लोगों की आस्था है।
-बताया जाता है कि अभिषेक के समय शिवलिंग पल-पल रूप बदलता है।

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