छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में लगे प्लांट,
मध्यप्रदेश में जल्द होगी शुरुआत
अभी आदिवासी अपने स्तर पर महुआ के फूल से मदिरा बनाते हैं। उन्हें इसके लिए एक सीमा तक सरकार ने छूट भी दे रखी है, लेकिन अब ट्राइफेड इसे व्यावसायिक बनाने के लिए प्लांट लगवाएगा। जहां बड़े पैमाने पर उत्पादन कर बाजार में उतारा जाएगा। प्लांट लगाने की शुरूआत छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से हो गई है। अब मध्यप्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, आंध्रप्रदेश में भी आदिवासी बहुल इलाकों में जल्द प्लांट लगेंगे।
प्रदेश में 21 फीसदी आबादी आदिवासियों की
मध्यप्रदेश में कुल जनसंख्या की 21 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है। अभी भी बड़ी संख्या में आदिवासी परिवार जंगल या उसके आस-पास के इलाकों में निवासरत हैं, जिनके जीवकोपार्जन का प्रमुख साधन महुआ है। यह उनके खान-पान का हिस्सा भी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर महुआ की खरीदी होने से उनकी आय बढ़ेगी।
5 से 30 प्रतिशत तक होगा अल्कोहल
ट्राइफेड ने बड़े पैमाने पर उत्पादन और उसे लोकप्रिय बनाने के लिए शोध कराया है। अनार, अदरक और अमरूद फ्लेवर्स के साथ हेरिटेज महुआ ड्रिंक तैयार करने में सफलता मिली है। इन्हीं फ्लेवर्स के साथ इस ड्रिंक को शहरी बाजार में उतारा जाएगा। इस हेरिटेज ड्रिंक में अल्कोहल की मात्रा 5 से 30 प्रतिशत तक होगी। इस परियोजना की लागत करीब 16 करोड़ रुपए के करीब बताई जा रही है। हेरिटेज ड्रिंक को बनाने का तरीका पूरी तरह से प्राकृतिक होगा और इसमें स्परिट नहीं मिलाया जाएगा। इसकी बॉटलिंग भी इस तरह की पैकिंग में की जाएगी कि यह हैरिटेज लुक में दिखे।
आदिवासी फार्मूले से ही बनेगी ड्रिंक
केंद्र की महत्वाकांक्षी वन धन योजना के तहत ट्राइफेड इस परियोजना को आगे बढ़ाएगा। महुआ के फूल से बनने वाली मदिरा को ब्रांड बनाने के लिए ट्राइफेड आदिवासियों के ही फार्मूले का इस्तेमाल करेगा। उत्पाद के लिए आवश्यक महुए को आदिवासियों से सीधे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। आदिवासी जिस विधि से महुआ मदिरा बनाते हैं, उसी विधि को थोड़ा सुधार कर यह हेरिटेज ड्रिंक बनेगा।